अहमदाबाद स्थित ख्याति मल्टीस्पेशियलिटी अस्पताल (Khyati Multispeciality Hospital) में नवंबर में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जय) के तहत गलत एंजियोप्लास्टी प्रक्रियाओं के कारण दो व्यक्तियों की मौत का मामला पहले ही चौंकाने वाला था। अब यह सामने आया है कि गुजरात के निजी अस्पतालों ने योजना के तहत पैसे प्राप्त करने के लिए 47 मृत व्यक्तियों का “इलाज” दिखाया है।
कैग रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा
कैग (CAG) की रिपोर्ट के अनुसार, 47 मृत व्यक्तियों को पीएम-जय योजना के तहत इलाज पाने वाले मरीजों के रूप में फर्जी तरीके से दर्ज किया गया। इन पर 51 दावे दायर किए गए, जिसके तहत निजी अस्पतालों को 18 लाख रुपये का भुगतान किया गया।
गुजरात स्वास्थ्य विभाग की पीएम-जय अथॉरिटी पर पारदर्शिता की कमी को लेकर सवाल उठ रहे हैं। चिंताजनक बात यह है कि जब इन फर्जीवाड़ों में शामिल अस्पतालों और उनके खिलाफ उठाए गए कदमों के बारे में पूछा गया, तो संबंधित अधिकारियों ने जानकारी होने से इनकार किया।
“जीरो टॉलरेंस” के दावों के बावजूद खामियां बरकरार
गुजरात सरकार ने चिकित्सा कदाचारों पर कड़ी कार्रवाई का दावा किया है और हाल ही में पीएम-जय-मां कार्ड योजना की समीक्षा की है। अधिकारियों ने अपराधियों के खिलाफ “जीरो टॉलरेंस” नीति अपनाने और राज्य एंटी-फ्रॉड यूनिट को मजबूत करने का वादा किया था।
लेकिन ख्याति अस्पताल मामले के खुलासे ने इन उपायों की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कांग्रेस ने सीबीआई जांच की मांग की
गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद शक्ति सिंह गोहिल ने ख्याति अस्पताल में दो मरीजों की मौत के मामले में सीबीआई जांच की मांग की है।
संसद में शून्यकाल के दौरान बोलते हुए उन्होंने कहा कि यह जांच एक स्वतंत्र न्यायपालिका की निगरानी में होनी चाहिए।
अन्य राज्यों की तुलना में “मॉडल स्टेट” का दावा सवालों के घेरे में
गुजरात के स्वास्थ्य विभाग ने कुछ कार्रवाई करने का दावा किया है, लेकिन पड़ोसी राज्यों में निलंबित अस्पतालों की संख्या एक अलग तस्वीर पेश करती है।
वित्तीय वर्ष 2018-19 से 2024-25 के बीच, गुजरात में पीएम-जय के तहत अनियमितताओं के लिए केवल पांच अस्पताल निलंबित किए गए। इनमें धर्मानंद अस्पताल, नीलकंठ अस्पताल और स्टर्लिंग अस्पताल शामिल हैं।
इसके विपरीत, महाराष्ट्र में 479, मध्य प्रदेश में 439, उत्तर प्रदेश में 419 और आंध्र प्रदेश में 246 अस्पताल निलंबित किए गए।
इन आंकड़ों से यह सवाल उठता है कि या तो गुजरात के अस्पताल बेहद अनुशासित हैं, या फिर राज्य का स्वास्थ्य विभाग बड़े पैमाने पर हो रही अनियमितताओं को छिपा रहा है।
कैग रिपोर्ट में उजागर खामियां
कैग रिपोर्ट ने गुजरात में पीएम-जय योजना के कार्यान्वयन में गंभीर खामियां उजागर की हैं, जिनमें आयुष्मान योजना के अधिकारियों द्वारा मरीजों की भर्ती के तुरंत बाद ही मंजूरी देना शामिल है।
पिछले पांच वर्षों में केंद्र सरकार ने आयुष्मान योजना के तहत गुजरात के स्वास्थ्य क्षेत्र को 67,662 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। राज्य में कुल 2,675 अस्पताल इस योजना में शामिल हैं।
ख्याति अस्पताल घोटाले का खुलासा योजना की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है, जिसके बाद व्यापक ऑडिट और सख्त सुधारात्मक कदमों की मांग तेज हो गई है।
क्राइम ब्रांच की जांच
4 नवंबर को क्राइम ब्रांच ने ख्याति अस्पताल घोटाले के मुख्य आरोपी संजय पटोदिया को गिरफ्तार किया। उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद उन्हें पकड़ा गया।
इस मामले में अब तक छह अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है। ख्याति अस्पताल के निदेशक कार्तिक पटेल अब भी फरार हैं।
यह भी पढ़ें- गुजरात: सीरियल किलर राहुल जाट ने छठे हत्या की बात कबूली, पुलिस जांच तेज