नवंबर 2020 में गुजरात भूमि अतिक्रमण (निषेध) कानून-2020 के तहत जामनगर स्थित वकील वसंत मनसेता और 14 अन्य को बुक किया गया था। उन पर माफिया जयेश रणपारिया उर्फ जयेश पटेल के नेतृत्व वाले गिरोह का हिस्सा होने का आरोप लगाया गया था। मनसेता पर यह भी आरोप था कि एक बार जमीन पर कब्जा करने के बाद कानून से बचाने में रणपरिया की मदद की थी। हालांकि भू माफिया जयेश बाद में ब्रिटेन भाग गया था। वहां उसे हिरासत में ले लिया गया है और उसके निर्वासन की प्रक्रिया जारी है।
इसी तरह, भावनगर पुलिस ने गुजरात भूमि अतिक्रमण (निषेध) कानून के तहत तीन मामले दर्ज किए। एक छत्रसिंह परमार के खिलाफ था जिन्होंने भावनगर मार्केट में 161 वर्ग मीटर जमीन पर होटल जैसा ढांचा बना लिया था। हितेश हरसोरा एक और व्यक्ति था, जिस पर भावनगर जिले के महुवा तालुका में 500 वर्ग मीटर सरकारी भूमि हथिया लेने का आरोप था। तीसरे थे राजेश खासिया, जिन्होंने 1,416 वर्ग मीटर सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया था। इस मामले में पुलिस ने कानून के प्रावधानों के अनुसार 21 दिनों में चार्जशीट दायर कर दी। गौरतलब है कि इस कानून को सितंबर 2020 में विधानसभा में पेश किया गया था, जो अगस्त 2020 से ही लागू माना गया।
गुजरात पुलिस के सूत्रों के अनुसार, गुजरात भूमि अतिक्रमण (निषेध) कानून के तहत राज्य भर के विभिन्न थानों में 215 मामले दर्ज किए गए हैं। गुजरात पुलिस के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “हमारे पास 4,000 से अधिक आवेदन लंबित हैं, जिनकी कानूनन जांच आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज करने से पहले की जा रही है।”
गुजरात पुलिस के पास उपलब्ध आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, गुजरात भूमि अतिक्रमण (निषेध) कानून के तहत दर्ज 215 मामलों में करीब 842 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “कुछ अभी भी भगोड़े हैं और हम उनकी तलाश कर रहे हैं।” हालांकि राज्य के शहरी क्षेत्रों में ऐसे बहुत कम अपराध दर्ज होते हैं, जबकि इस तरह के 23 मामले खेड़ा जिले में और 21 उत्तरी गुजरात के बनासकांठा जिले में दर्ज किए गए हैं।अहमदाबाद शहर में सिर्फ छह मामले हैं, तो राजकोट में चार और भावनगर में पांच मामले हैं।
भूमिहीन किसानों के लिए काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता भरतसिंह झाला ने कहा कि हालांकि नया गुजरात भूमि अतिक्रमण (निषेध) कानून प्रभावी है और भूमि माफियाओं के हाथों अपनी जमीन गंवाने वाले गरीब इस कानून से लाभान्वित हो सकते हैं। लेकिन सवाल यह है कि शहरों और शहरी इलाकों में ऐसे मामलों की संख्या कम क्यों है? झाला ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि अहमदाबाद जिले के ढोलका तालुका के वौथा गांव की करीब 60 महिलाओं ने एक सहकारी समिति बनाई है और नदी किनारे की जमीन पर खेती कर रही हैं। उन्होंने कहा, “वैसे यह भूमि इन महिलाओं की नहीं है। फिर भी वे इससे अपना जीवन यापन करती हैं। हमने अधिकारियों से इन महिलाओं को जमीन देने का अनुरोध किया है। 30 जून, 2021 को स्थानीय अधिकारियों ने भी सर्वेक्षण के लिए घटनास्थल का दौरा किया था। ”
हालांकि एक पूर्व सत्र न्यायाधीश और वर्तमान में गुजरात हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील पीएम लकहानी का दृष्टिकोण थोड़ा अलग है। उन्होंने कहा, “पहले जब कानून नहीं था, तब भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत भूमि हथियाने की शिकायतें दर्ज की जाती थीं। इससे प्रक्रिया लंबी हो जाया करती थी। अब गुजरात भूमि अतिक्रमण (निषेध) कानून, 2020 के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज करने के 21 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल करना अनिवार्य है। इसमें शिकायतकर्ताओं को उनकी जमीन वापस दिलाने का भी आश्वासन दिया गया है। लोगों में जागरूकता है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।”
पांच प्रमुख शहर
- 23 मामले हैं खेड़ा के
- 21 मामले हैं बनासकांठा में
- 14 मामले हैं मोरबी में
- 13 मामले हैं भरूच में
- 13 मामले हैं अरावली में
कम मामले वाले
- 01 मामला है सूरत ग्रामीण में
- 02 मामले हैं पाटन में
- 06 मामले हैं अहमदाबाद में
- 06 मामले हैं सूरत सिटी में
- 03 मामले हैं आणंद में