भारत से अपना कारोबार समेट चुकी अमेरिकी वाहन निर्माता कंपनी फोर्ड के 355 कर्मचारी अपने भविष्य की चिंता को लेकर गुरुवार को कोंग्रस विधायक जिग्नेश मेवाणी के नेतृत्व में अहमदाबाद स्थित श्रम भवन के बाहर एकत्रित होकर विरोध प्रदर्शन किया , इस दौरान श्रम आयुक्त को ज्ञापन देकर न्याय की गुहार लगायी।
अमेरिकी वाहन निर्माता कंपनी फोर्ड ने 2021 में भारत के अपने दोनों प्लांट बंद करने का निर्णय किया , जिसमे एक चेन्नई में और दूसरा गुजरात के साणंद में था। साणंद प्लांट को फोर्ड से टाटा समूह ने अधिग्रहित किया गया।
टाटा मोटर्स ने ₹725.7 करोड़ में फोर्ड इंडिया के साणंद स्थित विनिर्माण संयंत्र का अधिग्रहण करने के लिए एक समझौता किया था ,सौदे में सभी पात्र कर्मचारियों का स्थानांतरण भी शामिल है।साणंद प्लांट की उत्पादन क्षमता 3 लाख यूनिट प्रति वर्ष है, जिसे बढ़ाकर 4.2 लाख यूनिट प्रति वर्ष किया जा सकता है।
सौदे के हिस्से के रूप में, टाटा मोटर्स को पूरी भूमि और भवन, वाहन निर्माण संयंत्र के साथ-साथ मशीनरी और उपकरण भी शामिल थे।
कांग्रेस विधायक और फोर्ड कर्मचारियों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे जिग्नेश मेवाणी ने कहा ” देश के पहले श्रम मंत्री डॉ भीमराव आंबेडकर की जयंती के एक दिन पहले कर्मचारियों को आंदोलन करना पड़े यह शर्म की बात है। कर्मचारी उसी शर्त पर काम करना चाहते है जिसमें फोर्ड में काम कर रहे थे ,लेकिन उन्हें लिया नहीं जा रहा है। गुजरात सरकार और श्रम विभाग कर्मचारियों की बजाय अमेरिकी कंपनी के हितों की रक्षा कर रही है। श्रम कानून और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए वडगाम विधायक ने भरोसा दिलाया कि वह न्याय की इस लड़ाई को मुकाम तक पहुचायेंगे।
वही सहायक श्रम आयुक्त आर डी पटेल ने कहा की कंपनी अधिग्रहण नियम के मुताबिक किसी कंपनी का कोई दूसरी कंपनी जब अधिग्रहण करती है तो उसे तीन शर्तो का पालन करना होता है ,जिसके मुताबिक सेवा शर्तों की समानता , सामान वेतन और पुरानी कंपनी का अनुभव नयी कंपनी में जोड़ा जाय।
फोर्ड के साणंद प्लांट में 976 कर्मचारी थे जिनमे से 621 कर्मचारियों को टाटा समूह ने अपने यंहा सम्मलित कर लिया है जबकि 355 कर्मचारियों का विवाद चल रहा है। फोर्ड ,टाटा समूह और फोर्ड कर्मचारी यूनियन के बीच एमओयू भी हुआ है। चेन्नई के कर्मचारियों को उनके वेतनमान के लिहाज से मुआवजा मिला है यंहा भी कुछ कर्मचारी मुआवजा और नौकरी दोनों चाहते है। कानून का पालन किया जा रहा है। “
जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि मोडल स्टेट गुजरात में यह शोभा नहीं देता कि 350 कर्मचारियों को घर बैठा दिया जाये , उनका वेतन बंद है। कर्मचारी काम करना चाहते है लेकिन उन्हें जाने नहीं दिया जाता। राज्य श्रम मंत्री से उन्होंने तत्काल इस मामले का संज्ञान लेकर हस्ताक्षेप की मांग की।
वही एक कर्मचारी ने कहा कि हम काम करना चाहते हैं लेकिन साणंद में ही काम करना चाहते है ,फोर्ड ने रात में हस्ताक्षर कराये थे। हम अपने अधिकार की लड़ाई लड़ रहे है।
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