अहमदाबादः ऐसा लगता है कि गुजरात के तेंदुए मानव समाज अपने लिए सुरक्षित जगह की तलाश कर रहे हैं। यह संकेत उनके बार-बार इंसानों की बस्तियों की ओर रुख करने से मिलते हैं। एक अध्ययन के अनुसार, 10 वर्षों में 834 बार में 263 तेंदुओं को पकड़ा और जंगल में छोड़ा गया। यानी हर कोशिश में औसतन तीन बार पकड़ा गया।
इन बड़ी बिल्लियों को पकड़ने के बाद माइक्रोचिप्स के साथ टैग किया गया था, ताकि उनकी गतिविधियों का अध्ययन किया जा सके। एक तेंदुआ तो ऐसा निकला, जो बार-बार आता था। उसे जंगल में छोड़ने के बाद छह बार फिर से पकड़ा गया था।
ये जानकारियां हाल ही में प्रकाशित ‘गिर राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य के आसपास मानव और तेंदुए के आपसी व्यवहार’ (‘Human and leopard interactions around Gir National Park and Sanctuary’) शीर्षक से प्रकाशित पेपर का हिस्सा हैं। अध्ययन में योगदान देने वाले शोधकर्ताओं में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के नाजनीन जहरा और जमाल खान, नवसारी कृषि विश्वविद्यालय के रोहित चौधरी और राज्य वन विभाग में वन संरक्षक (conservator) शामिल हैं। जहरा ने कहा, “हमने अध्ययन के हिस्से के रूप में पकड़े गए 1,192 तेंदुए का अध्ययन किया। हमने पाया कि 263 तेंदुए अक्सर इंसानी बस्तियों का दौरा करते थे, क्योंकि उन्हें पकड़ कर 834 बार छोड़ा गया था। इस तरह यह प्रति तेंदुआ तीन बार बचाव किया गया।”
एक खास तेंदुआ सात बार पकड़ा गया। हर बार जब उसे पकड़ा गया, तो यह मनुष्यों की बस्तियों में घुस गया। रिसर्च में एक मादा तेंदुए पर ध्यान दिया गया है, जिसे 2002 में तलाला में एक कुएं से बचाने के बाद रेडियो कॉलर लगाया गया था। हालांकि, गिर के जंगल में छोड़े जाने के 72 घंटों के भीतर ही वह दीव के पास खेतों में पाया गया था। तीन साल तक बारीकी से निगरानी की गई। जून 2005 में उसे फिर से पकड़ लिया गया। जहरा ने कहा, “उसने तीन साल में दो बार जन्म दिया। इस दौरान किसानों के साथ उसका कोई संघर्ष नहीं हुआ। वह घरेलू और जंगली प्रजातियों के शिकारों पर ही निर्भर रही।”
रिसर्च के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि गिर राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्य में छोड़े गए अधिकांश तेंदुए कृषि क्षेत्रों में वापस चले गए। इसलिए, गिर अभयारण्य के बाहर के हालात में हुए बदलाव ने व्यापक कृषि क्षेत्रों को उनके लिए परिवार बढ़ाने के मकसद से उपयुक्त बना दिया। सर्दियों में कृषि भूमि में मानव-तेंदुए के बीच ऐसे संबंध के उदाहरण सबसे अधिक थे। 1,192 पकड़े गए तेंदुए में से 39 प्रतिशत इंसानों के बीच रहने वाले मिले।
तेंदुओं के खुले कुएं में गिरने और घरों में घुसने के मामले क्रमशः मानसून (38%) और गर्मियों (53%) में सबसे अधिक थे। कुल मिलाकर, पकड़ने के 920 मामले कृषि क्षेत्रों में दर्ज किए गए। उसके बाद खेती वाले कुओं (143) और घरों (79) का नंबर रहा। 4.2% मामलों (50 कैप्चर) में मानव-तेंदुए के रिश्ते का स्थान पता नहीं चल सका।
अध्ययन के अनुसार, सर्दियों में पशुओं का शिकार करने वाले तेंदुओं के 1,036 उदाहरण थे। इसी तरह मानसून में 862 और गर्मियों में 561 मामले मिले। जहरा ने कहा कि तेंदुए दरअसल सर्दियों में भोजन की तलाश में जंगलों से बाहर निकल जाते हैं।
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