गुजरात हाई कोर्ट ने एक 16 वर्षीया रेप पीड़िता को अपने जोखिम पर अबॉर्शन की अनुमति दी है। साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि जिन डॉक्टरों ने अपनी राय रिकॉर्ड पर रखी है, वे भविष्य में किसी भी मुकदमे की स्थिति में बचे रहेंगे।
बनासकांठा जिले की रेप पीड़िता और उसके पिता ने अबॉर्शन की अनुमति के लिए इस सप्ताह की शुरुआत में हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जस्टिस इलेश वोरा ने पालनपुर सिविल अस्पताल को मेडिकल जांच करने का निर्देश दिया। साथ ही डॉक्टरों की राय मांगी कि क्या इस स्थिति में अबॉर्शन कराना ठीक रहेगा। डॉक्टरों ने लड़की की जांच के बाद अपनी राय रखी। उन्होंने गर्भावस्था (pregnancy) को 19 सप्ताह से थोड़ा अधिक पाया।
दलीलें सुनने के बाद जस्टिस वोरा ने रेप पीड़िता को अपने जोखिम पर अबॉर्शन की अनुमति दे दी। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ताओं और उनके वकील को इसमें शामिल जोखिमों के बारे में विधिवत जानकारी दी गई थी। यह भी स्पष्ट किया गया था कि लड़की अपने जोखिम पर गर्भावस्था को समाप्त करने जा रही है।
इसके अलावा, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि “जिन डॉक्टर ने रिकॉर्ड पर अपनी राय रखी है, वे बाद में कोई मुकदमा होने पर भी बचे रहेंगे। उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी।” इस स्पष्टीकरण के साथ हाई कोर्ट ने पालनपुर सिविल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक (medical superintendent) और सीनियर स्त्री रोग विशेषज्ञ (gynaecologist) को अबॉर्शन की प्रक्रिया का निर्देश दे दिया।
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