गुजरात के 10,000 से अधिक सेवानिवृत्त डॉक्टर (retired doctors) अभी भी सातवें वेतन आयोग (7th Pay
Commission) की सिफारिशों के अनुसार Non-Practicing Allowance (एनपीए) से वंचित हैं।
सरकारी डॉक्टर (Government doctors) निजी प्रैक्टिस (private practices) के त्याग के लिए मुआवजे के
रूप में NPA के हकदार हैं। 1 जनवरी 2016 और 1 जून 2019 के बाद सेवानिवृत्त हुए गुजरात (Gujarat) के
कई डॉक्टर इस समस्या का सामना कर रहे हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं के सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक, डॉ. माधवजी गजेरा (Dr. Madhavji Gajera) ने कहा,
“एनपीए को भूल जाइए, मुझे 2021 से वेतन वृद्धि का भुगतान नहीं किया गया है। गुजरात में नौकरशाहों
की राजनीति सरकार द्वारा हमारी मांगों को पूरा नहीं करने का एक कारण है। सरकारी डॉक्टरों का वेतन
लगभग वरिष्ठ नौकरशाहों के वेतन के बराबर है और उनमें से कई को इससे समस्या है। एनपीए हमारा
मूल अधिकार है और हमारे पास इस समस्या को संबोधित करने वाला कोई नहीं है।”
उन्होंने कहा, “नितिन पटेल (पूर्व उपमुख्यमंत्री), विजय रूपानी (गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री) से लेकर अब
रुशिकेश पटेल (राज्य के स्वास्थ्य मंत्री) तक के समक्ष, डॉक्टरों ने अपना विरोध दर्ज किया है और मंत्रियों
से संपर्क किया है, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला है।”
एक सेवानिवृत्त सरकारी डॉक्टर, जिन्होंने नाम बताने से इनकार किया, ने कहा, “एक पेंशनभोगी के रूप में,
मुझे प्रति माह 18,000 रुपये का नुकसान हुआ। सरकार की निष्क्रियता के कारण औसतन एक डॉक्टर को
9.5 लाख का नुकसान होता है। अब हम क्या करें? हमने कई बार सरकार से अपील की लेकिन हमारे
अनुरोध अनसुने किसी ने नहीं सुने।”