वडोदरा की अदालत ने कोलकाता स्थित एक संगठन मिशनरीज ऑफ़ चेरिटी की दो ननों की आगामी जमानत पर सुनवाई बुधवार को स्थगित के दी है| मदर टेरेसा द्वारा स्थापित यह संगठन 2003 में गुजरात धर्म स्वतंत्रता अधिनियम के तहत वडोदरा में बुक किया गया था| इस संगठन पर आरोप है की इस संगठन में हिंदू धार्मिक भावनाओं ठेस पहोचायी जा रही है और जबरन धर्मांतरण करा जा रहा है|
वडोदरा के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आरटी पंचाल ने वडोदरा वडोदरा पुलिस की ओर से पेश जुला सरकार के वकील को गुजरात के महाधिवक्ता के साथ अधिनियम की धरा 3 और 4 के उपयोग पर ” चर्चा और स्पष्टीकरण” करने का निर्देश दिया है|
वडोदरा के डीजीपी अनिल देसाई ने बताया की ” अदालत ने हमें एडवोकेट जनरल के साथ गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा गुजरात धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 200 3 की धरा 3 और 4 संबध में आगस्त में जरी स्थगन आदेश के दायरे पर चर्चा करने के लिए कहा| उच्च न्यायलय ने अंतधार्मिक विवाह के माध्यम से जबरन धर्मान्तरण के संदर्भ में निर्देश धाराओ के लिए स्थगन आदेश जरी किया| धरा मे निर्धारित बलपूर्वक धर्मंतरण के बाकि अधरों पर रोक नही लगाई गयी है|
एक महिला ने संगठन के खिलाफ का FIR दर्ज की गयी थी जिसमे लिखा गया था की उसका जबरन धर्म परिवर्तन करा गया है और समाज में उसकी छवि को निक्सन फोचाया है |
पुलिस न३ए विभिन अधरों पर आग्रिम जमानत का विरोध किया है , जिसमे महिला के जबरन धर्म परिवर्तन के साथ साथ आश्रम में रहने वाली लडकियों को मांसाहारी भोजन परोष्ण भी शामिल है | पुलिस ने अदालत में यह भी बताया की संगठन ने लडकियों को ईसाई धार्म की किताबे पढने के लिए मजबूर किया है|
अधिकारियों ने बताया कि बाल कल्याण समिति की शिकायत के मुताबिक संगठन ने हिंदू मूल की लड़की को ईसाई परंपरा के अनुसार ईसाई परिवार में शादी करने के लिए मजबूर किया था. शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि आश्रय गृह में रहने वाली लड़कियों को हिंदू होते हुए भी मांसाहारी भोजन परोसा जाता है।