गुजरात में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के तहत 2021-22 में बमुश्किल 27% रोजगार लक्ष्य ही हासिल किया जा सका। वित्त वर्ष की समाप्ति से लगभग चार महीने पहले 68,536 लोगों को नौकरी देने के लक्ष्य के मुकाबले पीएमईजीपी के तहत केवल 18,680 लोगों को रोजगार मिला, जैसा कि राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों से पता चलता है। पीएमईजीपी एक क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी कार्यक्रम है। इसका उद्देश्य ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना के माध्यम से रोजगार के अवसर पैदा करना है।
पीएमईजीपी के तहत सृजित नौकरियों की संख्या भी योजना के माध्यम से पिछले साल की तुलना में 18% कम है। योजना के तहत 2019-20 और 2020-21 में लक्षित नौकरियों का 40% और 43.5% दिया गया। सरकारी सूत्रों ने कहा कि साल की शुरुआत में कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण परियोजनाओं में देरी हुई। इस दौरान 8,567 परियोजनाओं में से केवल 27% को ही क्रियान्वित किया गया था।
कोविड-19 की दूसरी लहर बहुत भयावह थी। गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (जीसीसीआई) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पथिक पटवारी ने कहा, इससे रुकावट आई और मांग और विश्वास में भारी गिरावट देखी गई। पटवारी ने कहा, “लोग नया व्यवसाय शुरू करने का जोखिम उठाने के लिए तैयार नहीं थे।”
उन्होंने आगे कहा, “यहां तक कि जब बाजार में सुधार शुरू हुआ और मांग की बढ़ोतरी भी हुई, तब भी नया व्यवसाय शुरू करने में विशेष रूप से बेहद छोटे उद्यमियों के लिए अंतर्निहित चुनौतियां थीं।” पटवारी ने कहा कि सभी वस्तुओं की कीमतों में नाटकीय वृद्धि से न केवल ऋण की कमी हुई, बल्कि सूक्ष्म उद्यमियों की जोखिम उठाने की क्षमता भी कम हुई। पटवारी ने कहा, “महामारी से पैदा हुई अनिश्चितता ने बेहद छोटे उद्यमियों का विश्वास कमजोर कर दिया है।”
राज्य सरकार का अनुमान है कि MSME क्षेत्र में कम से कम एक करोड़ व्यक्ति कार्यरत हैं।