नवंबर की शुरुआत की बात है। 32 वर्षीय समीप ‘सैम’ जोशी ने तब इतिहास रच दिया, जब वह न्यू जर्सी के एडिसन में मेयर के रूप में चुन लिए गए। यह उपलब्धि पाने वाले वह 44% एशियाई लोगों के साथ एक लाख आबादी वाले शहर में पहले भारतीय-अमेरिकी हैं। अमेरिका में बसे दूसरी पीढ़ी के गुजराती जोशी की जड़ें मध्य गुजरात से हैं। मेयर के रूप में उनका कार्यकाल जनवरी 2022 से शुरू होगा। दिलचस्प बात यह है कि जोशी के खिलाफ अन्य उम्मीदवारों में से एक महेश भागिया थे, जो अंकल सैम की भूमि में दूसरी पीढ़ी के गुजराती थे।
जोशी कहते हैं, “भारतीय-अमेरिकी न्यू जर्सी में सबसे तेजी से बढ़ते अल्पसंख्यक हैं। वे आबादी का बड़ा हिस्सा हैं। वर्ष 2021 में पूरे अमेरिका में राजनीतिक मैदान में भारतीय अमेरिकी समुदाय के उम्मीदवारों की सबसे अधिक संख्या देखी गई थी। ” उन्होंने कहा, “हमने पहले ही कई विधायकों और सीनेटरों को देखा है, लेकिन अब पिछले कुछ सालों में समुदाय की भागीदारी बढ़ गई है।”
अपने अभियान के दौरान जोशी के प्रमुख चुनावी वादों में एक नया टाउनशिप मास्टर प्लान और तेज, विश्वसनीय इंटरनेट के लिए नगरपालिका ब्रॉडबैंड की बात भी शामिल थी।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एसोसिएशन (एफआईए) के अध्यक्ष अंकुर वैद्य का कहना है कि जोशी के अलावा गुजराती मूल के आठ लोगों को या तो चुना गया है या विभिन्न सार्वजनिक पदों पर नियुक्त किया गया है।
अमेरिका में प्रवासी भारतीयों का एक बड़ा हिस्सा है और इनमें से कई को पहले भी शीर्ष कार्यालयों में नियुक्त किया जाता रहा है। इनमें नटवर ‘नट’ गांधी भी हैं, जो 2007-13 से वाशिंगटन डीसी के मुख्य वित्त अधिकारी थे और राजीव ‘राज’ शाह जिन्हें 2015 से 18 तक यूएसएआईडी का प्रशासक नियुक्त किया गया था। हालांकि सक्रिय सार्वजनिक जीवन में गुजरातियों का प्रवेश दरअसल दूसरी और तीसरी पीढ़ी के गुजरातियों की देन है। वर्तमान में अमी बेरा कैलिफोर्निया से निर्वाचित अमेरिकी सीनेटर हैं, जबकि नीरज अंतानी और अमीश शाह क्रमशः ओहियो और एरिजोना के प्रतिनिधियों के राज्य स्तरीय सदन के सदस्य हैं।
वैद्य के मुताबिक, “भारतीय अमेरिकी आबादी का एक बड़ा हिस्सा बनाते हैं और देश की चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के इच्छुक हैं। राजनीतिक रूप से सक्रिय लोगों में से अधिकांश दूसरी या तीसरी पीढ़ी के भारतीय-अमेरिकी और गुजराती हैं, जो भारत की तुलना में अमेरिका के साथ अधिक घनिष्ठ संबंध महसूस करते हैं। हालांकि एडिसन के सैम जोशी जैसे सफल उम्मीदवारों की बात करें तो हमारे पास केवल कुछ ही नाम हैं।”
न्यू जर्सी स्थित इंजीनियरिंग फर्म के मालिक केनी देसाई और प्रमुख गुजराती प्रवासी, जो 2000 में अपनी भारत यात्रा के दौरान बिल क्लिंटन के साथ थे, कहते हैं कि पहले गुजराती तटस्थ बने रहते थे और राजनीतिक पक्ष लेने से बचते थे। अब यह प्रवृत्ति तेजी से बदल रही है।
देसाई कहते हैं, “हमने व्यवसाय बनाए, परिवारों को लाए और यहां बस भी गए। लेकिन केवल प्रचारकों और धन उगाहने वालों के रूप में सक्रिय रहे। यह वही वर्ग है जो चुनावों में गहरी दिलचस्पी ले रहा है। अमेरिका में वर्तमान में लगभग 30-40 लाख भारतीय आबादी है, जिनमें बड़ी संख्या में गुजराती हैं। नई पीढ़ी का जन्म और पालन-पोषण यहीं हुआ है और यह कोई बाधा नहीं है। ” उन्होंने कहा, “मैं निश्चित रूप से आने वाले समय में उनके प्रतिनिधित्व में वृद्धि की उम्मीद करता हूं।”
गुजराती लिटरेरी एकेडमी ऑफ नॉर्थ अमेरिका के संस्थापक राम गढ़वी ने कहा कि राजनीति कुलमिलाकर प्रतिनिधित्व के बारे में है। और, गुजराती अब सभी स्तरों पर उम्मीदवार उतारने में जुट गए हैं। हालांकि हमें यह देखने के लिए कुछ सालों तक इंतजार करना पड़ सकता है कि यह सोच कैसे जारी रहती है। हमने पहले ही बड़ी संख्या में भारतीय अमेरिकियों को राज्य और केंद्र में प्रमुख पदों पर देखा है।”