खंभालिया ड्रग जब्ती मामले में गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपी यानी सलीम कारा और उसके भाई अली कारा ने एक मछली पकड़ने वाला ट्रॉलर खरीदा था और इसे भारत और पाकिस्तान के बीच अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (IMBL) के पार भेज दिया था। पुलिस ने दावा किया है कि इस सिलसिले में सुराग पर उसने एक पाकिस्तानी नाव से 315 करोड़ रुपये कीमत का 63 किलोग्राम प्रतिबंधित मादक पदार्थ जब्त किया।
पुलिस जांच के मुताबिक, दोनों भाइयों ने नौ नवंबर को ठाणे के सब्जी विक्रेता शहजाद घोषी को 88.25 करोड़ रुपये मूल्य की 17 किलो नशीली दवाओं के साथ देवभूमि द्वारका के खंभालिया कस्बे के पास नौ नवंबर को पकड़ा था। उसने बताया कि कहा कि हेरोइन और मेथामफेटामाइन के ये पैकेट उसने देवभूमि द्वारका के तटीय सलाया शहर के निवासी सलीम कारा और अली कारा से लिए थे।
पुलिस के मुताबिक, घोषी के पास से जब्त किए गए ड्रग के पैकेट अफगानिस्तान में कंधार के अजीज बैंक और ईरानी भाषा में कुछ अन्य लेखों के संदर्भ में हैं। सलाया में कारा बंधुओं के घर से 226.84 करोड़ रुपये की 45.368 किलोग्राम हेरोइन के साथ जब्त किए गए 47 पैकेट में ईरानी भाषा में कुछ लिखा हुआ है। इतना ही नहीं, उन पर तीन ऊंटों और एक कार के प्रतीक हैं।
बता दें कि शुक्रवार को देवभूमि द्वारका पुलिस ने सलाया के मछुआरे सलीम जसरया (50) और उसके भाई इरफान जसरया (34) को पकड़ा था। बताया था कि दोनों ने IMBL के करीब एक पाकिस्तानी नाव से 315 करोड़ रुपये की हेरोइन और मेफेड्रोन की खेप की डिलीवरी ली थी। देवभूमि द्वारका के एसपी सुनील जोशी ने कहा कि सलीम जसरया और उसका भाई इरफान “ड्रग की खेप की डिलीवरी लेने के लिए IMBL गया और मछली पकड़ने वाली नाव फारुकी-1 पर ले आया।”
इस तरह इस मामले में गिरफ्तार लोगों की संख्या पांच हो गई है। इनमें घोषी और कारा बंधु भी हैं। पुलिस ने कहा कि कारा बंधुओं ने द्वारका शहर के पास रूपेन बंदरगाह से “जल्दबाजी” में मछली पकड़ने वाला ट्रॉलर फारुकी -1 खरीदा और जसराय बंधुओं को खेप लेने के लिए 29 अक्टूबर को बंदरगाह से रवाना होने को कहा।
पुलिस ने एक बयान जारी कर बताया कि दो लोग नाव को IMBL के पास ले गए। फिर वायरलेस पर पाकिस्तानी नाव से संपर्क किया। प्रतिबंधित मादक पदार्थ की खेप लेने के बाद दोनों ने इसे अपने मछली पकड़ने वाले जाल के नीचे छिपा दिया और 9 नवंबर को सलाया के पास शांतिनगर तट पर उतरा। पुलिस के मुताबिक, सलीम जसरया एक मछुआरा था जबकि उसका भाई व्यापारी।
जसराय बंधुओं द्वारा संपर्क करने के बाद सलीम कारा खेप को एक कार में भरकर अपने घर ले गया। साथ ही एक दूसरी कार में घोषी को इसका एक हिस्सा दिया। पुलिस ने सलीम कारा द्वारा नशीले पदार्थों के परिवहन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दोनों कारों को जब्त कर लिया है।
पूछताछ में 48 वर्षीय अली ने बताया कि फारूकी-1 खरीदने के कुछ ही दिनों बाद उसके भाई ने उसे “सामान” लेने के लिए आईएमबीएल तक नाव भेजने को कहा। “बहुत सारा पैसा” मिलने की बात कही थी। पुलिस ने कहा कि सलीम उमर जसरया इसके कप्तान के रूप में काम कर रहा था, जबकि इरफान उमर जसरया खलासी (चालक दल के सदस्य) के रूप में काम कर रहा था।
जांच से यह भी पता चला कि फारूकी-1 के चालक दल को 6 नवंबर को भारत-पाकिस्तान समुद्री सीमा पर पाकिस्तानी नाव से नशीली दवाओं की खेप मिली थी। मीडिया ने 57 वर्षीय सलीम को यह कहते हुए उद्धृत किया कि उसने किसी फिदा से दवा की खेप का आदेश लिया था। पाकिस्तान के कोनराक गांव के हाजी हुसैन ने उससे व्हाट्सएप कॉल के जरिए संपर्क किया। बदले में हुसैन के आदमियों ने एक नाव पर मादक पदार्थ लाद दिया और उसे समुद्र में फारूकी-1 के चालक दल को सौंप दिया।