गुजरात के तीन निवेशकों ने अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच से एक प्रमुख समाचार चैनल सहित कम से कम चार पत्रकारों के खिलाफ शिकायत की है। आरोप लगाया है कि उनके द्वारा जानबूझकर दी गई भ्रामक खबरों के कारण उन्हें कारोबार में भारी नुकसान हुआ है।
पुलिस से कई गई शिकायत की कॉपी वाइब्स ऑफ इंडिया (वीओआइ) के पास है। इसमें कहा गया है कि यह “यह भारी नुकसान राष्ट्रीय स्तर पर हुई साजिश के कारण हुआ। साजिश के तहत अडानी कंपनियों के एफपीआई के बारे में गलत जानकारी और भ्रामक खबरें अखबारों में प्रकाशित की गईं। साथ ही एक चैनल पर प्रसारित भी की गईं, जिसके परिणामस्वरूप अडानी के शेयरों में भारी बदलाव आया। बाद में सूचना को गलत घोषित कर दिया गया था, लेकिन इससे पहले हमें भारी नुकसान हो चुका था, जिसे देखना होगा। मीडिया को जिम्मेदार होना चाहिए था। यह सिर्फ सहसा हुई रिपोर्टिंग नहीं थी, बल्कि इस मुद्दे पर संगठित रूप से साजिश रची गई थी।”
चार पत्रकारों ने जून में अपने प्रकाशनों में लगभग समान सूचना वाले समाचार चलाए थे, जिसमें दावा किया गया था कि अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में 25 प्रतिशत तक की गिरावट आई है और नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) द्वारा अडाणी समूह के शीर्ष हितधारकों में से तीन विदेशी फंडों के खातों को फ्रीज कर दिया गया है।
इसके कारण अडाणी ग्रीन, अडाणी ट्रांसमिशन और अडाणी गैस सहित अडाणी समूह के शेयरों ने एनएसई पर पांच प्रतिशत की गिरावट के साथ लोअर सर्किट मारा। अडाणी इंटरप्राइजेज तो 20 फीसदी लुढ़क गया।
“एनएसडीएल की वेबसाइट के अनुसार, अल्बुला इन्वेस्टमेंट फंड, क्रेस्टा फंड और एपीएमएस इन्वेस्टमेंट फंड के खाते 31 मई को या उससे पहले फ्रीज कर दिए गए थे। अकाउंट फ्रीज का मतलब है कि फंड न तो मौजूदा सिक्योरिटीज को बेच पाएंगे और न ही कोई नया खरीद पाएंगे। प्रकाशित समाचारों और प्रसारणों में दावा किया गया था कि इन फंडों के पास अडाणी एंटरप्राइजेज, अडाणी ग्रीन एनर्जी, अडाणी ट्रांसमिशन और अडाणी टोटल गैस में 43,500 करोड़ रुपये से अधिक के शेयर हैं। ये तीनों पोर्ट लुइस में एक ही पते पर पंजीकृत हैं और इनकी अडाणी इंटरप्राइजेज में 6.82 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसी तरह अडाणी ट्रांसमिशन में 8.03 प्रतिशत, अडाणी टोटल गैस में 5.92 प्रतिशत और अडाणी ग्रीन में 3.58 प्रतिशत शेयर हैं।
इन प्रकाशनों और विशेष रूप से एक चैनल ने शोर मचाते हुए कहा था कि “एनएसडीएल ने 43,500 करोड़ रुपये के अडाणी समूह के शेयरों के तीन एफपीआइ के खातों को फ्रीज कर दिया है। यह धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) द्वारा अनिवार्य रूप से लाभकारी स्वामित्व पर अपर्याप्त जानकारी के प्रकटीकरण के कारण है।
वाइब्स ऑफ इंडिया ने अहमदाबाद पुलिस की अपराध शाखा से बात की, जिन्होंने पुष्टि की कि उन्हें यह शिकायत लिखित रूप में मिली है।
वीओआइ ने उन निवेशकों में से एक से बात की, जिन्होंने इन पत्रकारों द्वारा जानबूझकर चलाई गई खबरों की पुष्टि की। इनकी गलत रिपोर्टिंग में भी एक समानता दिखाई दी, जिससे यह आभास हुआ कि यह पूर्व नियोजित साजिश का हिस्सा था। इसलिए हमने क्राइम ब्रांच से संपर्क किया है। यह न केवल कानूनी मामला है बल्कि एक गंभीर आपराधिक मामला भी है।
एक प्रमुख समाचार चैनल की महिला संपादक को भी अहमदाबाद अपराध शाखा द्वारा पूछताछ के लिए बुलाया गया था। पुलिस ने वाइब्स ऑफ इंडिया से इसकी पुष्टि की है। पुलिस ने वीओआइ को बताया कि इसके लिए तीन अन्य पत्रकारों को भी मुंबई से अहमदाबाद बुलाया गया था।
इस मामले की जांच से जुड़े एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने वीओआइ से कहा, “सीआरपीसी की धारा 160 के प्रावधानों के तहत जांच अधिकारी समन जारी कर सकता है। उस संदर्भ में हमने आवेदन के आधार पर एक प्रमुख समाचार चैनल के एंकर के साथ-साथ एक संपादक और एक प्रमुख वित्तीय समाचार पत्र के तीन पत्रकारों को तलब किया है। शिकायत अहमदाबाद के तीन निवेशकों ने दर्ज कराई है, जिन्होंने दावा किया कि अडाणी समूह के बारे में भ्रामक समाचारों के कारण उन्हें भारी नुकसान हुआ है। ”
उन्होंने कहा, “अपराध शाखा ने आवेदन के संबंध में सभी चार पत्रकारों के साथ-साथ स्टॉक एक्सचेंज के अधिकारी के बयान दर्ज किए हैं। हम शिकायत की जांच कर रहे हैं और यह भी जांच कर रहे हैं कि क्या खबरिया चैनल द्वारा साजिश रची गई थी। अगर एसीबी को दिए गए आवेदन में कोई सबूत मिलता है, तो हम मीडिया संस्थान के खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज करेंगे।”
बता दें कि यह खबर जून में प्रकाशित हुई थी। बाद में प्रभावित समूह कंपनियों के अध्यक्ष गौतम अडाणी ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) विवाद के खिलाफ बात की थी।
अडाणी ने कहा था कि विवाद समूह के शेयर की कीमतों में अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव का कारण बना, जिसने छोटे निवेशकों को प्रभावित किया। भले ही कंपनियों के पास एफपीआई के निवेश या प्रकटीकरण को नियंत्रित करने के लिए कोई नियामक शक्ति नहीं थी।
वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए अडाणी ने निवेश पर समूह के दर्शन पर जोर दिया था। कहा था, “हम इक्विटी के अंतर-पीढ़ी के धारक हैं। हम अपने भागीदारों, अपने अल्पसंख्यक निवेशकों और खुद के लिए दीर्घकालिक स्थायी मूल्य बनाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
उन्होंने यह स्पष्ट किया था कि “मीडिया के एक वर्ग ने” नियामकों के प्रशासनिक कार्यों पर “लापरवाह” रिपोर्टिंग की थी, जिसके परिणामस्वरूप शेयर की कीमतों में तेज गिरावट आई। इससे अडाणी शेयरों की बाजार कीमतों में अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव हुआ। दुर्भाग्य से हमारे कुछ छोटे निवेशक इस प्रभावित हो गए थे, जिसमें कुछ टिप्पणीकारों और पत्रकारों का यह अर्थ था कि कंपनियों के पास अपने शेयरधारकों पर नियामक शक्तियां हैं और कंपनियां प्रकटीकरण को मजबूर कर सकती हैं। ”
गौतम अडाणी ने जुलाई में कहा था, “सभी अडाणी शेयरों ने 100 प्रतिशत से अधिक रिटर्न दिया– और हमारे व्यवसायों ने सुनिश्चित किया कि हम अपने शेयरधारकों को लगभग 9,500 करोड़ रुपये लौटाएं। यह टैक्स के बाद लाभ में 166 प्रतिशत की सालाना वृद्धि है।”
उन्होंने कहा था कि कोई फर्क नहीं पड़ता कि समूह किस व्यवसाय में शामिल है – बंदरगाह, हवाई अड्डे, परिवहन, प्राकृतिक संसाधन, थर्मल और नवीकरणीय बिजली उत्पादन, ट्रांसमिशन, डेटा सेंटर, रक्षा, कृषि और भोजन, रियल एस्टेट, सिटी गैस उपयोगिताओं या अन्य- उनका मानना है कि ये सभी उच्च विकास प्रदान करने में सक्षम हैं।
अडाणी ने कहा था, “लेकिन, इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उनमें से हर एक के साथ-साथ नए क्षेत्र भी जुड़े हुए हैं, जिनमें हम आगे बढ़ सकते हैं।”