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कोलंबो में अडानी ग्रुप का टर्मिनल शुरू, भारत-श्रीलंका समुद्री साझेदारी को नई ऊंचाई

| Updated: April 7, 2025 16:56

कोलंबो — भारत और श्रीलंका के बीच समुद्री व्यापार सहयोग को मजबूती देते हुए अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड (APSEZ) ने कोलंबो पोर्ट पर वेस्ट इंटरनेशनल टर्मिनल (CWIT) के संचालन की आधिकारिक शुरुआत कर दी है। यह टर्मिनल कोलंबो बंदरगाह का पहला पूर्णतः स्वचालित (फुली ऑटोमेटेड) और गहरे पानी वाला टर्मिनल है, जिसे दक्षिण एशिया में एक बड़े ट्रांसशिपमेंट हब के रूप में देखा जा रहा है।

यह परियोजना 35 वर्षीय ‘बिल्ड, ऑपरेट एंड ट्रांसफर (BOT)’ समझौते के तहत भारत की अडानी पोर्ट्स, श्रीलंका की जानी-मानी कंपनी जॉन कील्स होल्डिंग्स पीएलसी और श्रीलंका पोर्ट्स अथॉरिटी के साझा सहयोग से विकसित की गई है।

800 मिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश से तैयार इस टर्मिनल में 1,400 मीटर लंबा क्वे और 20 मीटर की गहराई है, जिससे यह हर साल लगभग 32 लाख कंटेनरों (TEUs) को संभालने में सक्षम होगा। टर्मिनल की अत्याधुनिक तकनीक और पूरी तरह स्वचालित प्रणाली माल हैंडलिंग की क्षमता को बेहतर बनाने, भीड़ कम करने और जहाजों के टर्नअराउंड टाइम को तेजी से घटाने में सहायक होगी।

गौतम अडाणी — अडानी ग्रुप के चेयरमैन — ने इसे “भारत-श्रीलंका सहयोग का ऐतिहासिक क्षण” बताया। उन्होंने कहा, “यह टर्मिनल न सिर्फ हिंद महासागर में व्यापार के भविष्य को दर्शाता है, बल्कि श्रीलंका को वैश्विक समुद्री मानचित्र पर मजबूती से स्थापित करता है। इससे हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न होंगे और श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को नया जीवन मिलेगा।”

जॉन कील्स ग्रुप के चेयरमैन कृष्णन बालेंद्रा ने कहा, “यह हमारी कंपनी की अब तक की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक है और श्रीलंका के निजी क्षेत्र के इतिहास में भी एक अहम निवेश है। यह कोलंबो को एक प्रमुख ट्रांसशिपमेंट हब के रूप में स्थापित करेगा और क्षेत्रीय व्यापार व संपर्क को नई दिशा देगा।”

CWIT का निर्माण कार्य 2022 की शुरुआत में शुरू हुआ था और इसे रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया। इसके जरिए न केवल कोलंबो पोर्ट की क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि होगी, बल्कि श्रीलंका के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में भी सकारात्मक योगदान देखने को मिलेगा।

APSEZ भारत की सबसे बड़ी परिवहन उपयोगिता कंपनी है, जो न सिर्फ देश में कई बंदरगाहों का संचालन करती है, बल्कि इज़राइल और तंजानिया में भी बंदरगाह संचालन में सक्रिय है। कंपनी का लक्ष्य आने वाले दशक में दुनिया की सबसे बड़ी पोर्ट और लॉजिस्टिक्स प्लेटफॉर्म बनने का है।

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