सरकार ने मंगलवार (17 दिसंबर) को लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को समन्वित करने और ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पहल को लागू करने के लिए दो विधेयक लोकसभा में पेश किए। यह कदम भाजपा की लंबे समय से लंबित इस योजना को आगे बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
विधेयकों के प्रमुख बिंदु
1. संविधान संशोधन विधेयक
संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024, संविधान के तीन अनुच्छेदों में संशोधन और एक नया अनुच्छेद 82ए जोड़ने का प्रस्ताव करता है। यह संशोधन लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने का ढांचा प्रदान करेगा। इसके तहत, राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को लोकसभा के साथ संरेखित किया जाएगा, जिसका अर्थ है कि कुछ विधानसभाओं का कार्यकाल छोटा किया जा सकता है।
अनुच्छेद 82ए के तहत, ‘समानांतर चुनाव’ का अर्थ लोकसभा और सभी विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराना है। हालांकि, चुनाव आयोग (ECI) को यह सिफारिश करने का अधिकार होगा कि कुछ विधानसभाओं के चुनाव अलग से कराए जा सकते हैं।
2. सहवर्ती संशोधन विधेयक
दूसरा विधेयक, ‘संघ राज्य क्षेत्र कानून (संशोधन) विधेयक, 2024’, संघ राज्य क्षेत्रों, जैसे दिल्ली और जम्मू-कश्मीर से संबंधित कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव करता है, जिससे वहां भी एक साथ चुनाव संभव हो सके।
समानांतर चुनाव कब से शुरू हो सकते हैं?
अगर सभी प्रक्रियाएं समय पर पूरी होती हैं, तो समानांतर चुनाव 2034 में संभव हैं। इसके लिए 18वीं और 19वीं लोकसभा का पूरा कार्यकाल समाप्त होना आवश्यक है। प्रावधानों को लागू करने की तिथि उस समय तय होगी जब लोकसभा की पहली बैठक होगी, जिसकी संभावना 2029 में है।
मध्यावधि विघटन का समाधान
अगर लोकसभा या कोई विधानसभा निर्धारित कार्यकाल से पहले भंग हो जाती है, तो विधेयकों के अनुसार, शेष कार्यकाल के लिए चुनाव कराए जाएंगे। उदाहरण के तौर पर, अगर लोकसभा तीन साल बाद भंग होती है, तो नई लोकसभा केवल शेष दो साल के लिए कार्य करेगी।
विधेयकों में यह प्रावधान भी है कि मध्यावधि में गठित सदन को पुरानी लोकसभा या विधानसभा का विस्तार नहीं माना जाएगा। इसका मतलब यह है कि भंग किए गए सदन में लंबित विधेयक और अन्य विधायी कार्य समाप्त हो जाएंगे।
नगरपालिका चुनाव शामिल नहीं
वर्तमान में, इन विधेयकों में नगरपालिका चुनावों को शामिल नहीं किया गया है। ऐसा करना जटिल होगा क्योंकि इसके लिए राज्यों की आधी विधानसभाओं से पुष्टि (ratification) आवश्यक है।
प्रस्तावित संशोधन के मुख्य बिंदु
यह विधेयक ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर बनी उच्च स्तरीय समिति, जिसकी अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने की थी, की सिफारिशों पर आधारित है।
मुख्य संशोधन इस प्रकार हैं:
- अनुच्छेद 82ए: समानांतर चुनावों के लिए कानूनी ढांचा तैयार करना।
- अनुच्छेद 83 और 172: लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल से संबंधित प्रावधानों में बदलाव करना।
- अनुच्छेद 372: संसद के निर्वाचन संबंधी अधिकारों में ‘समानांतर चुनावों के संचालन’ को शामिल करना।
संघ राज्य क्षेत्रों के लिए संशोधन
दूसरे विधेयक में संघ राज्य क्षेत्रों के शासन से जुड़े कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव है। इसमें 1963 के ‘संघ राज्य क्षेत्र अधिनियम’, 1991 के ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अधिनियम’ और 2019 के ‘जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम’ में बदलाव किया जाएगा, ताकि समानांतर चुनावों का दायरा संघ राज्य क्षेत्रों तक भी बढ़ाया जा सके।
आगे की चुनौतियां
संविधान संशोधन विधेयक को पारित करने के लिए संसद में विशेष बहुमत की आवश्यकता होगी। संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत, इसे लोकसभा और राज्यसभा में कुल सदस्यों के आधे और उपस्थित एवं मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई का समर्थन चाहिए। राज्यों की सहमति हासिल करना भी एक बड़ा राजनीतिक और कानूनी चुनौती होगी।
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