गुजरात: 70,000 रुपये में मेडिकल डिग्री लेने वाले 14 फर्जी डॉक्टर गिरफ्तार - Vibes Of India

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गुजरात: 70,000 रुपये में मेडिकल डिग्री लेने वाले 14 फर्जी डॉक्टर गिरफ्तार

| Updated: December 6, 2024 13:16

गुजरात के सूरत में एक गिरोह द्वारा केवल 70,000 रुपए में नकली मेडिकल डिग्रियां बेचे जाने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। ये डिग्रियां आठवीं कक्षा तक पढ़े लोगों को भी दी जा रही थीं। गुजरात पुलिस ने इस घोटाले का भंडाफोड़ करते हुए 14 फर्जी डॉक्टरों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने ये डिग्रियां खरीदी थीं। गिरोह के मुख्य आरोपी, डॉ. रमेश गुजराती, को भी हिरासत में लिया गया है।

1,200 नकली डिग्रियां बरामद

गिरोह “बोर्ड ऑफ इलेक्ट्रो होम्योपैथिक मेडिसिन (BEHM) गुजरात” के नाम से फर्जी सर्टिफिकेट जारी कर रहा था। छापेमारी के दौरान जांचकर्ताओं ने 1,200 से अधिक नकली डिग्रियों का डेटाबेस, सैकड़ों आवेदन पत्र, प्रमाण पत्र, और नकली मुहरें बरामद कीं।

घोटाले का तरीका

पुलिस ने बताया कि डॉ. गुजराती ने भारत में इलेक्ट्रो-होम्योपैथी के लिए किसी प्रकार के नियम-कानून न होने का फायदा उठाया और एक फर्जी बोर्ड बनाया। गिरोह ने कुछ लोगों को इलेक्ट्रो-होम्योपैथी का तीन साल के अंदर बेसिक ट्रेनिंग देकर तैयार किया और फिर डिग्रियां बेचने का काम शुरू किया। इसके लिए उन्होंने एक फर्जी वेबसाइट भी बनाई।

पहले ये डिग्रियां केवल इलेक्ट्रो-होम्योपैथी के लिए दी जा रही थीं, लेकिन जनता के बीच इस प्रैक्टिस को लेकर संदेह के कारण उन्होंने अपनी रणनीति बदली। गिरोह ने यह दावा करना शुरू कर दिया कि उनके बोर्ड का गुजरात के आयुष मंत्रालय के साथ टाई-अप है। खरीदारों को भरोसा दिलाया गया कि ये सर्टिफिकेट उन्हें एलोपैथी, होम्योपैथी और आरोग्य चिकित्सा का अभ्यास करने की अनुमति देगा।

15 दिनों में डिग्री और वार्षिक नवीनीकरण शुल्क

डिग्रियां केवल 15 दिनों में जारी की जा रही थीं। सर्टिफिकेट लेने वालों को हर साल 5,000 रुपए से 15,000 रुपए का नवीनीकरण शुल्क देना पड़ता था। जो लोग यह शुल्क नहीं दे पाते थे, उन्हें गिरोह द्वारा धमकाया जाता था।

कार्रवाई कैसे हुई

जब अधिकारियों को तीन ऐसे व्यक्तियों के बारे में जानकारी मिली, जो नकली डिग्रियों के आधार पर एलोपैथी का अभ्यास कर रहे थे, तो राजस्व विभाग और पुलिस ने उनके क्लीनिकों पर छापेमारी की।

जांच में पता चला कि उनके डिग्री सर्टिफिकेट फर्जी थे, क्योंकि गुजरात सरकार इस तरह की कोई डिग्री जारी नहीं करती। गिरोह के दो सदस्य, शोभित और इरफान, इस घोटाले से धन की हेराफेरी में भी शामिल पाए गए।

जनता की सुरक्षा को खतरा

इन फर्जी डॉक्टरों की गिरफ्तारी ने उन मरीजों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं, जो इन अप्रशिक्षित चिकित्सकों से इलाज करा रहे थे। गुजरात पुलिस ने भरोसा दिलाया है कि ऐसे खतरनाक घोटालों को पूरी तरह खत्म करने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।

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