अहमदाबाद – टोरंट ग्रुप के मेहता परिवार के यूएनएम फाउंडेशन की पहल अभिव्यक्ति – द सिटी आर्ट्स प्रोजेक्ट के छठे संस्करण ने अहमदाबाद में प्रदर्शनों, कार्यशालाओं और दृश्य कला प्रतिष्ठानों का एक जीवंत मिश्रण पेश किया। मनोरंजन और शिक्षा के अपने अनूठे संयोजन के साथ, इस उत्सव ने एक बार फिर रचनात्मकता और आलोचनात्मक सोच के लिए एक मंच के रूप में अपनी योग्यता साबित की।
व्यंग्यात्मक नाटक बने दिन की मुख्य आकर्षण
दिन की खास प्रस्तुतियों में रवि उघरेजिया द्वारा निर्देशित नाटक अजब न्याय तमारो, गजब न्याय तमारो शामिल था। बर्टोल्ट ब्रेख्त की कृति द एक्सेप्शन एंड द रूल से प्रेरित इस नाटक ने न्याय प्रणाली पर व्यंग्यात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। कहानी एक व्यवसायी और उसके श्रमिकों के बीच के संघर्ष पर आधारित थी, जो तेल के कुओं की तलाश में कच्छ पहुंचते हैं। श्रमिकों के प्रति व्यवसायी का अन्यायपूर्ण व्यवहार और न्याय प्राप्त करने में उनकी असफलता ने वर्तमान न्याय व्यवस्था की कमजोरियों को दर्शाते हुए गहरी सोच को प्रेरित किया।
इसके साथ, अजाज शेख और उनकी टीम द्वारा प्रस्तुत हाउ दिस, हाउ दैट ने भी दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया। यह जोशीली और हास्य से भरपूर प्रस्तुति समाज में “परफेक्शन” की अंधी दौड़ पर कटाक्ष करती है। तीन जोकरों की यात्रा, जो इस ‘संपूर्ण’ दुनिया में खुद को फिट करने की कोशिश करते हैं, अंततः दर्शकों के लिए एक मजेदार और गहन अनुभव में बदल जाती है।
शैडो पपेट कार्यशाला: रचनात्मकता और सीखने का मंच
इस महोत्सव की एक बड़ी खासियत चेन्नई के प्रसिद्ध कहानीकार और कठपुतली कलाकार कार्तिक द्वारा आयोजित तीन दिवसीय शैडो पपेट कार्यशाला थी। सात वर्ष और उससे अधिक उम्र के प्रतिभागियों के लिए यह कार्यशाला निःशुल्क थी और इसमें 28 लोगों ने हिस्सा लिया।
इस कार्यशाला में प्रतिभागियों ने अपनी व्यक्तिगत कहानियों को आकार देने, आवाज़, बॉडी लैंग्वेज और थियेटर मूवमेंट्स के उपयोग के साथ-साथ घरेलू सामग्रियों से कठपुतलियां बनाने का तरीका सीखा। इस कार्यशाला का समापन प्रतिभागियों द्वारा प्रस्तुत रचनात्मक परफॉर्मेंस के साथ हुआ।
दृश्य कला: विविध दृष्टिकोण और नवाचार
दृश्य कला के खंड में विभिन्न रचनात्मक कृतियां और प्रदर्शनियां प्रदर्शित की गईं:
- त्रिपुरा की रमकी भौमिक ने अपनी “ए ड्रीम सिटी अराउंड मी” इंस्टॉलेशन के माध्यम से कल्पनाशील मिनिएचर घर प्रस्तुत किए, जो मानव बस्तियों की विविधता और “सपनों के घर” की सार्वभौमिक आकांक्षा को दर्शाते हैं।
- झारखंड के विशाल कुमार गुप्ता ने अपनी कला कृतियां “फ्रैगमेंट ऐज़ लैंडस्केप ऑर बॉडी” और “फ्रैगमेंट ऐज़ स्ट्रेंज क्रीचर” प्रदर्शित कीं। इन कृतियों में पेड़ों के कटे हुए हिस्सों को केंद्र में रखते हुए प्रकृति और मानव हस्तक्षेप के बीच संतुलन की जटिलता को उजागर किया गया।
- असम के रघुबीर सिन्हा ने “आपंग: द क्लेवर सर्वाइवर” नामक अपनी इंस्टॉलेशन प्रस्तुत की, जो मणिपुरी लोककथा पर आधारित है। इस स्टॉप-मोशन फिल्म ने डिजिटल कला, फोटोग्राफी और फिल्ममेकिंग के माध्यम से दर्शकों को आपंग की यात्रा में शामिल किया।
कला, व्यंग्य और आत्मनिरीक्षण का मंच
अभिव्यक्ति एडिशन-6 ने दिखाया कि कैसे कला रचनात्मकता, आलोचना और सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा दे सकती है। विचारोत्तेजक प्रस्तुतियों, व्यावहारिक कार्यशालाओं और आकर्षक दृश्य कला के माध्यम से इस महोत्सव ने आत्मचिंतन और कल्पना के लिए एक मंच प्रदान किया।
टोरेंट ग्रुप की यूएनएम फाउंडेशन द्वारा शुरू की गई इस पहल ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि यह उभरते और स्थापित कलाकारों को प्रेरित करने और उनकी प्रतिभाओं को प्रदर्शित करने का एक सशक्त मंच है।
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