अहमदाबाद। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने 31 मार्च, 2023 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए अपनी ऑडिट रिपोर्ट में राज्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (एसपीएसयू) को हो रहे बढ़ते घाटे पर चिंता जताई है। सत्र के अंतिम दिन विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट में घाटे में चल रहे एसपीएसयू को पुनर्जीवित कर उन्हें लाभदायक बनाने या करदाताओं को और अधिक नुकसान से बचाने के लिए उन्हें भंग करने का सुझाव दिया गया है।
31 मार्च, 2023 तक, 101 एसपीएसयू थे, जिनमें 65 सरकारी कंपनियाँ (एक निष्क्रिय), चार वैधानिक निगम और 23 सरकार द्वारा नियंत्रित अन्य कंपनियाँ शामिल थीं। सीएजी ने पाया कि 65 सरकारी कंपनियों में से एक और 23 सरकारी नियंत्रित कंपनियों में से चार निष्क्रिय थीं। रिपोर्ट में गुजरात सरकार को घाटे में चल रही सभी एसपीएसयू के प्रदर्शन का आकलन करने और उनके प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाने की सलाह दी गई है।
सीएजी ने सिफारिश की, “सरकार को प्रशासनिक विभागों को निर्देश देना चाहिए कि वे अलग-अलग एसपीएसयू के लिए वित्तीय विवरण समय पर प्रस्तुत करने का लक्ष्य निर्धारित करें और बकाया राशि के निपटान की कड़ी निगरानी करें। इसके अलावा, सरकार को निष्क्रिय सरकारी कंपनियों की समीक्षा करनी चाहिए और यह तय करना चाहिए कि उन्हें पुनर्जीवित किया जाए या बंद किया जाए।”
68 एसपीएसयू (64 सरकारी कंपनियां और चार वैधानिक निगम) में से 46 ने 7,059.23 करोड़ रुपये का कर पश्चात लाभ दर्ज किया, जबकि 15 को कुल 2,010-06 करोड़ रुपये का घाटा हुआ और सात को न तो लाभ हुआ और न ही घाटा हुआ। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 23 सरकारी नियंत्रित अन्य कंपनियों में से 17 ने 2,868.07 करोड़ रुपये का लाभ दर्ज किया, जबकि 15 को 446.91 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।
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