सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पूरे भारत में स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के लिए सुरक्षित कार्य स्थितियों की सिफारिश करने के लिए एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन किया। यह कदम कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ क्रूर बलात्कार और हत्या के बाद व्यापक विरोध के मद्देनजर उठाया गया है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने मामले को संभालने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार की भी आलोचना की और एफआईआर दर्ज करने में देरी पर कड़ी नाराजगी जताई।
31 वर्षीय डॉक्टर को 9 अगस्त को मृत पाया गया था, जिसके बाद देश भर में डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन और हड़ताल की। घटना के एक दिन बाद कोलकाता पुलिस ने एक नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को गिरफ्तार किया था।
सर्वोच्च न्यायालय की प्रमुख कार्रवाई
राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन: सर्वोच्च न्यायालय ने अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत एक टास्क फोर्स का गठन किया है, जो कार्यस्थलों पर डॉक्टरों के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल प्रस्तावित करेगी। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने डॉक्टरों के लिए सुरक्षित वातावरण बनाने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि टास्क फोर्स में विभिन्न चिकित्सा विषयों के पेशेवर शामिल होंगे, ताकि व्यापक सुरक्षा उपाय विकसित किए जा सकें। टास्क फोर्स के सदस्यों में शामिल हैं:
- सर्जन एडमिरल आरके सरियन
- डॉ. डी नागेश्वर रेड्डी, प्रबंध निदेशक, एशियाई गैस्ट्रोएंटरोलॉजी संस्थान
- डॉ. एम श्रीवास, निदेशक, एम्स, दिल्ली
- डॉ. प्रतिमा मूर्ति, निमहंस, बैंगलोर
- डॉ. गोवर्धन दत्त पुरी, एम्स जोधपुर
- डॉ. सोमिकरा रावत, गंगाराम अस्पताल
- प्रोफेसर अनीता सक्सेना
- डॉ. पल्लवी सैपले, जेजे ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स
- डॉ. पद्मा श्रीवास्तव, अध्यक्ष (न्यूरोलॉजी), पारस अस्पताल, गुड़गांव
अधिकारियों की आलोचना: सुप्रीम कोर्ट ने आरजी कर अस्पताल के अधिकारियों को एफआईआर दर्ज करने में देरी के लिए कड़ी फटकार लगाई, साथ ही मुख्य न्यायाधीश ने डॉक्टर के शव की खोज के बाद अस्पताल की कार्रवाई पर सवाल उठाए। अदालत ने पूछा, “पोस्टमार्टम से पता चला कि डॉक्टर की हत्या की गई थी, फिर भी एफआईआर रात 11:45 बजे ही दर्ज की गई। अस्पताल के अधिकारी क्या कर रहे थे?”
सरकार और पुलिस की जवाबदेही: न्यायालय ने मामले से निपटने के तरीके के लिए बंगाल सरकार को फटकार लगाई और राज्य से शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बलपूर्वक कार्रवाई करने से बचने का आग्रह किया। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर राज्य की शक्ति का दुरुपयोग न होने दें। यह राष्ट्रीय स्तर पर शुद्धिकरण का क्षण है।” न्यायालय ने डॉ. संदीप घोष को आरजी कर अस्पताल से इस्तीफा देने के तुरंत बाद कलकत्ता मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के रूप में नियुक्त करने की भी आलोचना की और इस निर्णय की उपयुक्तता पर सवाल उठाया।
मीडिया कवरेज पर चिंता: मीडिया में पीड़िता के नाम, फोटो और वीडियो के प्रसार पर चिंता व्यक्त करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने इन कृत्यों की निंदा करते हुए इसे “अत्यंत चिंताजनक” बताया।
अस्पताल में तोड़फोड़: सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को आरजी कर अस्पताल में हुई तोड़फोड़ पर भी संज्ञान लिया और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) को अस्पताल में सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया। अदालत ने घटना के दौरान घटनास्थल की सुरक्षा में विफल रहने के लिए पुलिस की आलोचना की।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को गुरुवार, 22 अगस्त तक जांच पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। पश्चिम बंगाल सरकार को भी बर्बरता की जांच पर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया है।
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