उत्तराखंड की मंगलौर और बद्रीनाथ सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनावों में राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हार का सामना करना पड़ा है. कांग्रेस ने दोनों सीटों पर जीत दर्ज की है.
मंगलौर विधानसभा सीट पर आखिरी चार चरणों में उलटफेर की संभावनाओं के बीच कांग्रेस के काजी निजामुद्दीन ने बाजी मार ली. काजी ने 422 वोटों से जीत हासिल की है. सभी 10 राउंड की गिनती पूरी होने के बाद कांग्रेस के काजी निजामुद्दीन को कुल 31,727 वोट मिले जबकि भाजपा के करतार सिंह भड़ाना को 31,305 वोट मिले. बसपा के उम्मीदवार उबेदुर्रहमान 19,559 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे.
भाजपा को बद्रीनाथ विधानसभा सीट पर भी हार का सामना करना पड़ा है. इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवार लखपत बुटोला ने भाजपा उम्मीदवार राजेंद्र भंडारी को 5,224 मतों से मात दी है. लखपत बुटोला को 28,161 वोट और भाजपा के राजेंद्र भंडारी को 22,937 वोट मिले.
विधानसभा उपचुनाव में दोनों सीटों पर जीत के बाद कांग्रेस कैडर में जश्न का माहौल है. पार्टी कार्यकर्ता ढोल नगाड़ों की थाप पर एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर जीत का जश्न मना रहे हैं.
उत्तराखंड विधानसभा उपचुनाव में दोनों सीटों पर भाजपा ने और खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पार्टी की जीत का दावा किया था. उन्होंने खुद यहां चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी. साथ ही पांचों लोकसभा सीटों के नवनिर्वाचित सांसदों ने भी प्रचार किया था. इसके बाद भी भाजपा को यहां हार का सामना करना पड़ा.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने दोनों सीटों पर खुद कांग्रेस उम्मीदवार की जीत के लिए जनता के बीच जाकर प्रचार किया था. उनकी मेहनत रंग लाई और उत्तराखंड की दोनों सीटों पर कांग्रेस ने भाजपा को करारी शिकस्त दी.
गुजरात प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शक्तिसिंह गोहिल ने कहा कि भगवान ढोंगी भाजपा को समझते हैं। अयोध्या में श्री राम ने भाजपा को सबक सिखाया, गुजरात में मां अंबा ने बनासकांठा में अपना आशीर्वाद कांग्रेस को दिया। अब भगवान शंकर जी ने बद्रीनाथ में कांग्रेस को जीता दिया हैं!
आपको बता दें कि इससे पहले लोकसभा चुनाव 2024 में राम मंदिर के मुद्दे पर जोर शोर से चुनावी अभियान चलाने वाली भाजपा को अयोध्या लोकसभा सीट से करारी हार का सामना करना पड़ा है। इसके बाद अब बद्रीनाथ में भाजपा की हार उसके हिंदुत्ववादी राजनीति के सामने चुनौती की तरह आ खड़ी हुई है।
असमंजस की स्थिति में थे बीजेपी कार्यकर्ता
बद्रीनाथ विधानसभा उपचुनाव के नतीजों ने साबित कर दिया है कि जनता जबरदस्ती के थोपे चुनाव और दल बदलू नेता को किसी भी सूरत में बर्दाश्त करने को तैयार नहीं है. एक तरफ जहां जनता की नाराजगी साफ-साफ इस उपचुनाव के परिणाम में देखने को मिल रही है, वहीं अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी देखने को मिल सकती है क्योंकि जब से राजेंद्र सिंह भंडारी भाजपा में शामिल हुए हैं तब से भाजपा के कार्यकर्ता खुद को असमंजस की स्थिति में देख रहे हैं.
थोपे गए प्रत्याशियों को जनता ने नकारा
यही एक कारण भी रहा कि भाजपा को यहां प्रचार में प्रदेश के अधिकतर कैबिनेट मंत्री, गढ़वाल सांसद, कुमाऊ सांसद, राज्य मंत्रियों सहित खुद मुख्यमंत्री धामी के भी शामिल होने के बाद भी सफलता नहीं मिल पाई.
जनता ने साफ कर दिया कि अब जबरन थोपे गए प्रत्याशियों के जमाने लद गए. बद्रीनाथ में भाजपा जनता का मिजाज भांपने में विफल रही. लोकसभा चुनाव में ही अंदरखाने बह रही हवा का वो आंकलन नहीं कर पाई और विधानसभा उपचुनाव में गलत प्रत्याशी पर दांव खेलने का खामियाजा हार के रूप में भुगतना पड़ा.
खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही थी जनता
भंडारी ने बीच में ही विधानसभा सीट छोड़ दी और बद्रीनाथ की जनता पर मानसून के दौर में एक और उपचुनाव थोप दिया. जिस कारण क्षेत्र की जनता खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही थी. जनता का कहना भी था कि जब हमने आपको पहले भेजा था और किसी ने कोई शिकायत भी नहीं की, इसके बावजूद राजेंद्र सिंह भंडारी कहते रहे कि वह विकास के लिए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि मेरे क्षेत्र में विकास नहीं हो रहा है. हालांकि किसी ने भी इसकी शिकायत नहीं की थी लेकिन इसके बावजूद भंडारी भाजपा में शामिल हो गए. अब उन्हें हार का सामना करना पड़ा है क्योंकि जनता खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही थी.
काम नहीं आया मास्टरस्ट्रोक
विधानसभा चुनाव 2022 में पूरे प्रदेश में भाजपा की प्रचंड लहर थी लेकिन गढ़वाल क्षेत्र में बद्रीनाथ विधानसभा में एकमात्र कांग्रेस के प्रत्याशी राजेंद्र सिंह भंडारी मोदी लहर और भाजपा की प्रचंड लहर के बावजूद जीत कर गए और विधायक चुने गए. 2024 लोकसभा चुनाव से पहले गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी ने मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में राजेंद्र भंडारी को दिल्ली में भाजपा में शामिल कराया था. भाजपा इसे लोकसभा चुनाव में मास्टरस्ट्रोक मानती रही. हालांकि लोकसभा चुनाव तो जीते लेकिन उपचुनाव में जनता ने इसे पटकनी दे दी.
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