वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, 38 वर्षीय भारतीय-अमेरिकी व्यक्ति ऋषि शाह (Rishi Shah) को डॉक्टरों के कार्यालयों में दृश्य विज्ञापनों से जुड़ी एक अरब डॉलर की धोखाधड़ी योजना में शामिल होने के आरोप में पिछले बुधवार को सात साल और छह महीने की जेल की सजा सुनाई गई।
यूनाइटेड स्टेट्स जस्टिस डिपार्टमेंट के क्रिमिनल डिविजन की प्रमुख प्रिंसिपल डिप्टी असिस्टेंट अटॉर्नी जनरल निकोल एम. अर्जेंटिएरी ने कहा, “आउटकम के पूर्व अधिकारियों ने अपने ग्राहकों, अपने ऑडिटर, अपने ऋणदाताओं और अपने निवेशकों को सालों तक धोखा दिया।”
उन्होंने आगे कहा, “उनकी सजाएँ एक और अनुस्मारक के रूप में काम करेंगी कि ‘जब तक आप सफल नहीं हो जाते तब तक दिखावा करना’ किसी भी व्यवसाय के लिए स्वीकार्य प्रैक्टिस नहीं है, चाहे वह कंपनी एक प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप हो या एक अच्छी तरह से स्थापित निगम। ग्राहकों या वित्तपोषण प्राप्त करने के लिए अपने राजस्व के बारे में झूठ बोलना, साफ और स्पष्ट रूप से धोखाधड़ी है। आपराधिक प्रभाग कंपनियों और उनके अधिकारियों को उनके कदाचार के लिए जवाबदेह ठहराने के लिए प्रतिबद्ध है।”
ऋषि शाह कौन हैं?
ऋषि शाह आउटकम हेल्थ के संस्थापक हैं, जो शिकागो स्थित स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका में डॉक्टरों के कार्यालयों में टेलीविज़न पर विज्ञापन प्रदान करता है। कंपनी ने अपने उपकरणों पर विज्ञापन स्थान भी ग्राहकों, मुख्य रूप से दवा कंपनियों को बेचा।
2017 के फोर्ब्स लेख में बताया गया है कि शाह शिकागो के उपनगर ओक ब्रूक में पले-बढ़े हैं और एक डॉक्टर के बेटे हैं जो भारत से आकर बसे थे।
उनकी लिंक्डइन प्रोफ़ाइल के अनुसार, शाह जंपस्टार्ट वेंचर्स के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक भी हैं। उन्होंने हार्वर्ड और नॉर्थवेस्टर्न विश्वविद्यालयों में अध्ययन किया।
नॉर्थवेस्टर्न विश्वविद्यालय में ही उनकी मुलाकात आउटकम हेल्थ की अध्यक्ष और सह-संस्थापक श्रद्धा अग्रवाल से हुई। दोनों ने मिलकर 2006 में कॉन्टेक्स्टमीडिया नाम की एक कंपनी शुरू की, जो बाद में 2016 में एक्सेंटहेल्थ को खरीदने के बाद आउटकम हेल्थ बन गई।
ऋषि शाह के खिलाफ मामला
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, अभियोजकों ने शाह के लिए 15 साल की सजा की मांग की, उन पर आरोप लगाया कि वे “ग्राहकों, ऋणदाताओं, निवेशकों और एक ऑडिट फर्म से झूठ बोलने के पीछे की प्रेरक शक्ति हैं।”
अमेरिकी न्याय विभाग ने धोखाधड़ी का वर्णन करते हुए कहा कि शाह ने “आउटकम के ग्राहकों को विज्ञापन इन्वेंट्री बेची जो कंपनी के पास नहीं थी और फिर अपने विज्ञापन अभियानों में कम प्रदर्शन किया। इन कम प्रदर्शन के बावजूद, कंपनी ने अपने ग्राहकों को अभी भी इस तरह से बिल भेजा जैसे कि उसने पूरा प्रदर्शन किया हो।”
शाह के अलावा अग्रवाल और पूर्व मुख्य परिचालन अधिकारी तथा मुख्य वित्तीय अधिकारी ब्रैड पर्डी को भी धोखाधड़ी योजना में उनकी भूमिका के लिए सजा सुनाई गई है।
न्याय विभाग ने उल्लेख किया कि तीनों पूर्व अधिकारियों ने “ग्राहकों से कम डिलीवरी को छिपाने के लिए झूठ बोला या दूसरों से झूठ बुलवाया और ऐसा दिखाया कि कंपनी ग्राहकों के अनुबंधों में निर्धारित स्क्रीनों पर विज्ञापन सामग्री वितरित कर रही थी।”
मुकदमे के साक्ष्य के अनुसार, यह योजना 2011 में शुरू हुई और 2017 तक चली, जिसके परिणामस्वरूप कम से कम 45 मिलियन डॉलर की विज्ञापन सेवाओं के लिए अधिक बिल बनाया गया।
इस धोखाधड़ी में गोल्डमैन सैक्स ग्रुप इंक, गूगल की पैरेंट अल्फाबेट इंक. और इलिनोइस के गवर्नर जेबी प्रिट्जकर की वेंचर कैपिटल फर्म जैसे निवेशक शामिल थे।
इस मामले की जांच फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) और फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन-ऑफिस ऑफ इंस्पेक्टर जनरल (एफडीआईसी-ओआईजी) ने यूनाइटेड स्टेट्स सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन की सहायता से की थी।
यह भी पढ़ें- यूपी के हाथरस में मौत का तांडव: 121 की मौतें, भगदड़ के थे कई कारण!