‘श्राद्ध’ सनातन धर्म की ऐसी परंपरागत प्रथा है जिसमें हिंदू कौवे की प्रार्थना करते हुये उन्हें भोजन देकर अपने पूर्वजों (पितरों) की आत्माओं को याद करते हैं। इसलिए लोगों द्वारा कौवों को भोजन खिलाने के लिए कौवे की तलाश करना कोई अजीब बात नहीं है, इसके पीछे ऐसी मान्यता होती है कि प्रियजन की आत्मा संतुष्ट और शांति से है।
गांधीनगर के दाहेगाम तालुका के धरिसाना गांव के निवासियों ने हाल ही में एक सफेद कौवा देखा, जिससे वो बहुत उत्साहित हो उठे। धरिसाना के सरपंच शैलेश पटेल ने कहा कि उन्होंने 20 दिन पहले सुबह एक चाय की दुकान पर इस कौवे को देखा था। उन्होंने आगे कहा कि जब उन्होने उसे खाने के लिए कुछ स्नैक्स दी, तो कौवा उस पर चोंच मार रहा था लेकिन वह अन्य कौवे की तुलना में अपेक्षाकृत धीमा लग रहा था।
विशेषज्ञों के अनुसार, देखे जाने वाले कौवों की 10,000 तादादों में से एक दुर्लभ जीन विकार के कारण सफेद होता है। जहां स्थिति या तो मेलेनिन की अनुपस्थिति या पंखों में वर्णक के जमाव में असामान्यता का कारण बनती है। इंड्रोडा पार्क से जुड़े एक पशु चिकित्सक ने आगे कहा कि इस प्रकार के कौवे बहुत गिने जाते हैं और पूरे गुजरात में केवल एक या दो ही होने चाहिए।
अहमदाबाद के एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता निमेश नडोला ने कहा कि वह अपने दोस्त के साथ गांव गए थे जहां उन्होंने पक्षी को देखा और सोशल मीडिया पर कुछ अच्छी तस्वीरें पोस्ट कीं जो जंगल की आग की तरह फैल गईं।