गुजरात उच्च न्यायालय (Gujarat High Court) ने पिछले साल सस्पेंशन ब्रिज ढहने (suspension bridge collapse) से संबंधित मामले में ओरेवा ग्रुप (Oreva Group) के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल की जमानत याचिका पर सुनवाई 10 अगस्त तक के लिए टाल दी है, जिसमें 135 लोगों की मौत हो गई थी।
ट्रायल कोर्ट और सेशन कोर्ट इस साल की शुरुआत में ही जयसुख पटेल की नियमित जमानत खारिज कर चुकी है। ओरेवा ग्रुप ब्रिटिश काल के सस्पेंशन ब्रिज के संचालन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार था, जो पिछले साल 30 अक्टूबर को ढह गया था, जिसमें 135 लोगों की मौत हो गई थी और 56 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
अब तक इस मामले में कुल 6 आरोपियों को हाईकोर्ट जमानत दे चुका है। मामले में चार सुरक्षा गार्ड और दो क्लर्कों को जमानत दे दी गई है। मोरबी शहर में मच्छू नदी (Machchhu River) पर बना पुल 30 अक्टूबर, 2022 को ढह गया। पुल के रखरखाव के लिए ओरेवा समूह (Oreva Group) ने मार्च 2022 में नगर पालिका के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
राज्य सरकार ने मोरबी नगर पालिका को सुपरसीड करने का आदेश जारी किया था, और मामले में यह कार्रवाई सरकार द्वारा 18 जनवरी को नगर पालिका को कारण बताओ नोटिस जारी करने के लगभग तीन महीने बाद हुई, जिसमें कहा गया था कि इसका सामान्य बोर्ड अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में “विफल” रहा है।
अपने कारण बताओ नोटिस में, सरकार ने पाया कि मोरबी नगरपालिका का 52-सदस्यीय सामान्य बोर्ड “अपने प्राथमिक कर्तव्यों का निर्वहन करने में अक्षम” था और नागरिक निकाय से पूछा कि पुल ढहने के मद्देनजर उसे निलंबित क्यों नहीं किया जाना चाहिए।
नवंबर 2022 में एक स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार की अध्यक्षता वाली गुजरात उच्च न्यायालय की पीठ ने पाया कि पुल ढहने के संबंध में नगर पालिका की ओर से “एक चूक हुई थी”। पीठ ने राज्य सरकार से पूछा कि वह गुजरात नगर पालिका अधिनियम, 1963 की धारा 263 का उपयोग करके नगर पालिका को क्यों नहीं हटा रही है।
नगरपालिका की सामान्य बोर्ड की बैठक 23 जनवरी को हुई थी और एक प्रस्ताव के माध्यम से कहा गया था कि पुल ढहने की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित एक विशेष जांच दल (एसआईटी) ने पुल से संबंधित दस्तावेजों को जब्त कर लिया था और इसलिए, नागरिक निकाय नोटिस का जवाब देने की स्थिति में नहीं था।
चूंकि मोरबी नगर पालिका ने अपना जवाब दाखिल नहीं किया, इसलिए सरकार ने 13 फरवरी को नगर पालिका को 16 फरवरी तक जवाब देने के लिए एक अनुस्मारक भेजा। यह भी चेतावनी दी गई कि यदि नगर पालिका ने उस तिथि तक जवाब नहीं दिया, तो मामले में एक पक्षीय आदेश पारित किया जाएगा। नगर पालिका ने नोटिस के जवाब में खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि उसने कभी भी ओरेवा समूह को पुल सौंपने की मंजूरी नहीं दी थी।
मोरबी ब्रिज
लगभग डेढ़ सौ वर्ष पूर्व मोरबी के राजा सर वाघजी ठाकोर ने सस्पेंशन ब्रिज का निर्माण कराया था। उस समय इसे ‘कलात्मक और तकनीकी चमत्कार’ कहा जाता था। इस पुल का उद्घाटन 20 फ़रवरी 1879 को मुंबई के तत्कालीन गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था। पुल के निर्माण के लिए आवश्यक सभी सामग्री इंग्लैंड से आई थी और निर्माण की लागत तब 3.5 लाख रुपए थी।
मोरबी ब्रिज हादसा
मोरबी पुल हादसा 30 अक्टूबर 2022 को गुजरात के मोरबी नामक शहर के मच्छु नदी में बने पूल टूटने पर हुआ था, जिससे अबतक करीब 141 लोगों की मृत्यु हुई है। इस पुल पर 500 से अधिक लोग थे, जबकि इसकी कुल क्षमता मात्र 125 लोगों को संभालने लायक थी, जो इस हादसे के प्रमुख कारणों में से एक है। इसके अलावा इस पुल को नगरपालिका को बिना बताए ही तय समय से पूर्व बिना किसी फिटनेस प्रमाण पत्र लिए ही शुरू कर दिया गया था।
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