मणिपुर में मैतेई (Meitei) और कुकी समुदायों (Kuki communities) के बीच हिंसा शुरू हुए दो महीने से अधिक समय हो गया है। हिंसा तब भड़की जब मणिपुर उच्च न्यायालय (Manipur high court) ने राज्य सरकार से राज्य में बहुसंख्यक समुदाय मैतेई (Meitei) को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने पर विचार करने का अनुरोध किया।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 70,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं, जिनमें 100 से अधिक की मौतें हुई हैं। प्रभावित लोगों के लिए लगभग 350 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं।
मणिपुर सरकार (Manipur government ) ने 5 जुलाई को स्कूलों को फिर से खोल दिया। राज्य में लगभग 1,110 स्कूल हैं, जिनमें से कक्षा 1 से 8 तक के लिए कुल 4,521 स्कूल बुधवार को फिर से खुल गए।
शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने कम उपस्थिति दर के लिए हिंसा से संबंधित मुद्दों, परिवहन और माता-पिता और बच्चों के बीच डर को जिम्मेदार ठहराया। द वायर ने मणिपुर में छात्रों के माता-पिता से भी बात की। उन्होंने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “हम अपने बच्चों को ऐसी स्थिति में स्कूल नहीं भेजना चाहते जहां किसी भी समय कुछ भी हो सकता है।”
विस्थापित व्यक्तियों के सामने आने वाली चुनौतियों को समझने के लिए द वायर ने मणिपुर में विभिन्न राहत शिविरों का दौरा किया। मणिपुर के लोग किन मुद्दों का सामना कर रहे हैं? उनकी मांगें क्या हैं? क्या हाल के दिनों में स्थिति में सुधार हुआ है? देखें मणिपुर से की गई यह ग्राउंड रिपोर्ट..
उक्त रिपोर्ट सबसे पहले द वायर द्वारा प्रकाशित किया जा चुका है।