बैंक खातों से आपके गाढ़ी मेहनत की कमाई उड़ाने के लिए डार्क वेब (dark web) के इस्तेमाल के बारे में आपने जरूर सुना होगा। कई वेबसाइटें और टेलीग्राम चैनल प्रति कार्ड 5 डॉलर (लगभग 420 रुपये) से लेकर 10 डॉलर (लगभग 820 रुपये) तक के हिसाब से डेबिट और क्रेडिट कार्ड विवरण बेच रहे हैं!
यह जानकारियां किसी भी बैंक खाताधारक के लिए विशेष रूप से गंभीर है, क्योंकि कार्ड नंबर, कार्डधारक का नाम और सीवीवी नंबर जैसी बुनियादी जानकारी भी साइबर अपराधियों के लिए पीड़ितों को कंगाल बनाने के लिए पर्याप्त हैं।
भारत में, जहां खाता सुरक्षा के लिए two-factor verification अनिवार्य है, वहीं धोखेबाजों ने अपने अपराधों को अंजाम देने के लिए सिम स्वैपिंग (sim swapping) नामक एक तकनीक का सहारा लिया है। यदि अचानक आपके सेलफोन का सिग्नल चला जाता हैं और आपका सिम बेवजह निष्क्रिय हो जाता है, तो यह सोचकर निश्चिंत मत रहें कि यह मात्र एक मामूली गड़बड़ी है। यह स्पष्ट संकेत है कि आप साइबर बदमाशों द्वारा निशाना बनाए जा रहे हैं।
हैकर्स फॉर्मजैकिंग, एक वर्चुअल एटीएम स्किमिंग तकनीक (virtual ATM skimming technique) का उपयोग करते हैं, जिसके माध्यम से साइबर अपराधी malicious codes इंजेक्ट करके रिटेलर की वेबसाइट को लक्षित करते हैं। ये कोड उन्हें संवेदनशील कार्ड विवरण सहित ऑनलाइन खरीदारों के भुगतान विवरण तक पहुंच प्रदान करते हैं।
पुलिस ने कहा, “हैकर्स ने पीड़ित के नाम और फोन नंबर सहित इन डेबिट/क्रेडिट कार्ड विवरणों को संदिग्ध वेबसाइटों और टेलीग्राम चैनलों के माध्यम से बिक्री के लिए डाल दिया। साइबर जालसाज इस डेटा को खरीदते हैं और इसका उपयोग आपके सिम कार्ड को निष्क्रिय करने के लिए पीड़ित के दूरसंचार सेवा प्रदाता को कॉल करने के लिए करते हैं। वे एक डुप्लिकेट सिम हासिल कर लेते हैं जिसका उपयोग वे वन-टाइम पासवर्ड (ओटीपी) तक पहुंच हासिल करने के लिए करते हैं, जबकि पीड़ित धोखे से बेखबर होता है।”
इन अवैध गतिविधियों की उत्पत्ति पर प्रकाश डालते हुए सीआईडी के साइबर क्राइम सेल के एक विश्वसनीय सूत्र ने कहा, “रूस और यूक्रेन के हैकर्स मुख्य रूप से कुछ वेबसाइटों और टेलीग्राम चैनलों के माध्यम से कार्ड विवरण बेचते हैं। विकसित पश्चिमी देशों के कार्ड लगभग 10 डॉलर में प्राप्त किए जा सकते हैं, जबकि भारत सहित एशियाई देशों के कार्ड मात्र 5 डॉलर में प्राप्त किए जा सकते हैं।”
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