गुजरात में एक बूंद शराब पीना भी गुनाह है। यह और बात है कि 1960 से गुजरात का शराबबंदी कानून केवल कागजों पर ही रह गया। शराब कारोबारी राज्य में न सिर्फ बने रहे, बल्कि चोरी-छिपे धंधा भी चमकाते रहे हैं। कहना ही होगा कि वे फूड डिलिवरी एजेंटों की तरह काम करते हैं।
पूर्व में राज्य में पुलिस शराब का सेवन करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज करती थी। अब शराबबंदी कानून और भी सख्त हो गया है। शराब पीने वालों के लिए अधिक दिल तोड़ने वाली बात यह है कि पुलिस ने शराब खरीदने के लिए कतार में लगने वालों के खिलाफ भी मामले दर्ज करना शुरू कर दिया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य निगरानी प्रकोष्ठ (State Monitoring Cell) ने अमराईवाड़ी पुलिस के अधिकार क्षेत्र में सत्यमनगर इलाके में एक शराब की दुकान पर छापा मारा। तीन लोगों को गिरफ्तार किया। इनमें शराब की तस्करी करने वाले रैकेट के मुख्य सूत्रधार भी था। छापेमारी के दौरान पुलिस को तीन युवक मिले, जो वहां शराब खरीदने गए थे। पुलिस ने शराबबंदी कानून के तहत उन्हें गिरफ्तार कर लिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस महीने वदाज और नडियाद में इसी तरह के मामले दर्ज किए गए थे।
तो, शराब रखने वाले को कैसे गिरफ्तार किया जा सकता है? रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एसएमसी ने ऐसा अक्टूबर 2022 में शुरू किया था, जब उन्होंने सूरत में शराब खरीदने के लिए लाइन में लगे लगभग 40 ग्राहकों को पकड़ा था।
एसएमसी के डिप्टी एसपी केटी कमरिया ने कहा कि अगर कोई शराब के अड्डे के पास भी पाया जाता है, तो उस पर निषेध अधिनियम (prohibition acts) की धारा 68 और 81 के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है।
धारा 68 तब लागू होती है, जब पीने के लिए किसी ठिकाने का उपयोग पीने या शराब की बिक्री करने के लिए किया जाता है। धारा 81 में कहा गया है: “जो कोई भी इस कानून के तहत अपराध करने का प्रयास करता है या उकसाता है तो उसे वही सजा मिलेगी जो शराबी को मिलती है।”
अनेक लोगों के लिए शराब के बिना रहना कठिन है। लेकिन अब उनकी दुर्दशा की कल्पना कीजिए कि वे किसी शराब की दुकान के पास खड़े भी नहीं हो सकते।