गुजरात हाई कोर्ट ने मछुआरों की दो याचिकाओं को किया खत्म

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गुजरात हाई कोर्ट ने मछुआरों की दो याचिकाओं को किया खत्म

| Updated: February 25, 2023 11:55

गुजरात हाई कोर्ट ने देवभूमि द्वारका के दो गांवों के मछुआरों द्वारा दायर दो याचिकाओं को खत्म (disposed ) कर दिया। इनमें कथित रूप से अतिक्रमित (encroached) सरकारी भूमि पर उनके आवासीय परिसर को नियमित करने की मांग की गई थी, क्योंकि  याचिकाकर्ताओं ने राज्य द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चिंता जता देने  के बाद उन्होंने नियमितीकरण (regularisation) के लिए दबाव नहीं डालने का फैसला किया था।

सरकार ने कहा था कि अगर इन्हें अनुमति दी गई, तो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चिंताजनक स्थिति बन सकती है। वैसे शुक्रवार को सरकार ने अदालत को आश्वासन दिया कि वह मछुआरों के पुनर्वास के आवेदन पर विचार कर उचित फैसला लेगी।

इसी साल जनवरी में कल्याणपुर के मामलातदार और   एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट ने गंधवी और नवादा गांव के निवासियों को समुद्र किनारे से अतिक्रमण हटाने के लिए अलग-अलग नोटिस जारी किया था। गंधवी के 69 और नवादा के 122 निवासियों ने 1981 के सर्कुलर के तहत अपने निर्माण को नियमित करने की मांग करते हुए हाई कोर्ट का रुख किया, जिसमें समुद्र के किनारे झोपड़ी में रहने वाले गांव के मछुआरों को ‘गमताल’ भूमि दिलाने की बात कही गई थी।

राज्य ने 16 फरवरी को जिला कलेक्टर एमए पंड्या के माध्यम से दायर एक हलफनामे में एडीजीपी (खुफिया), गांधीनगर द्वारा 5 अप्रैल 2022 और 1 अगस्त  2022 को देवभूमि द्वारका कलेक्टर को लिखे पत्रों का हवाला देते हुए याचिका का विरोध किया। इसमें कब्जा हटाने के लिए उचित कार्रवाई करने को कहा गया था।

1 अगस्त, 2022 के पत्र में कहा गया है कि तटीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ द्वारका कलेक्टर की अध्यक्षता में हर तीन महीने में बैठकें होती हैं।

याचिकाकर्ताओं ने शुक्रवार को अदालत को बताया कि राज्य द्वारा उल्लिखित राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे को देखते हुए, और मछुआरों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद उन्होंने नोटिस के साथ सहयोग करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि हम कानून को मानने वाले और भारत के शांतिपूर्ण नागरिक हैं। हम देशप्रेमी हैं और इसलिए यह फैसला किया है।

जस्टिस निरजार देसाई की अदालत ने अपने आदेश में कहा, “सभी याचिकाकर्ता सरकारी भूमि पर किए गए कथित अवैध निर्माण को हटाने के लिए तैयार हैं और इच्छुक हैं… याचिकाकर्ता मछुआरे हैं और इसलिए उनके हालात को देखते हुए वे राज्य सरकार को उनके पुनर्वास के लिए फिर कहेंगे … राज्य सरकार को इस पर सकारात्मक रूप से विचार करने का निर्देश दिया जा सकता है।”

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