महाराष्ट्र के सोलापुर के एक किसान को जब पता चला कि जिले के एक व्यापारी को 512 किलो प्याज बेचने पर उसे महज 2.49 रुपये का मुनाफा हुआ है, तो वह दंग रह गया।
सोलापुर की बरशी तहसील में रहने वाले राजेंद्र चव्हाण ने कहा कि उनकी प्याज की उपज सोलापुर के बाजार में 1 रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत पर बिकी। इस तरह सभी कटौतियों के बाद उन्हें पिछले सप्ताह शुद्ध लाभ के रूप में ना के बराबर ही मिला।
चव्हाण ने कहा, “मैंने सोलापुर के एक प्याज व्यापारी को बिक्री के लिए पांच क्विंटल से अधिक वजन के 10 बैग प्याज भेजे थे। लेकिन लोडिंग, ट्रांसपोर्ट, लेबर और अन्य के लिए पैसे काटने के बाद मुझे उनसे सिर्फ 2.49 रुपये का लाभ हुआ। व्यापारी ने मुझे 100 रुपये प्रति क्विंटल की दर की पेशकश की।” उन्होंने कहा कि, “फसल का कुल वजन 512 किलोग्राम था और उपज की कुल कीमत 512 रुपये थी। यह मेरा और राज्य के अन्य प्याज उत्पादकों का अपमान है। अगर हमें ऐसा रिटर्न मिलेगा तो हम कैसे जिएंगे? ”
उन्होंने कहा कि प्याज किसानों को फसल का अच्छा दाम मिलना चाहिए और प्रभावित किसानों को मुआवजा मिले। हालांकि चव्हाण ने दावा किया कि उपज अच्छी क्वालिटी वाली थी, जबकि व्यापारी ने घटिया क्वालिटी वाला बताया।
व्यापारी ने कहा, “किसान केवल 10 बैग लाया था और उपज भी निम्न श्रेणी की थी। इसलिए उन्हें 100 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से मिला। इस तरह सभी कटौतियों के बाद उन्हें शुद्ध लाभ के रूप में 2 रुपये मिले।” उन्होंने कहा कि उसी किसान ने हाल के दिनों में उसे 400 से अधिक बोरे बेचकर अच्छा मुनाफा कमाया है। उन्होंने कहा, “इस बार वह बची हुई उपज लेकर आए, जो मुश्किल से 10 बोरी थी। इस बीच चूंकि कीमतें कम हो गई हैं, इसलिए उन्हें यही दर मिली है।”
किसान नेता और पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने कहा कि बाजार में आने वाला प्याज अब ‘खरीफ’ उपज है। इसलिए इसे लंबे समय तक स्टोर नहीं किया जा सकता है। यही कारण है कि उत्पाद की शेल्फ लाइफ कम है।
उन्होंने कहा, “इस प्याज को तुरंत बाजार में बेचने और निर्यात करने की जरूरत है। लेकिन आवक के कारण बाजार में प्याज की कीमतों में गिरावट आई है।’ उन्होंने कहा कि यह प्याज नेफेड द्वारा नहीं खरीदा जा रहा है, इसलिए एकमात्र विकल्प यह है कि सरकार को इस ‘खरीफ’ प्याज के लिए बाजार उपलब्ध कराना चाहिए।
उनके मुताबिक, “प्याज के संबंध में सरकार की निर्यात और आयात नीति सही नहीं है। हमारे पास दो स्थायी बाजार थे- पाकिस्तान और बांग्लादेश। लेकिन उन्होंने सरकार की बेतरतीब नीति के कारण हमारे बजाय ईरान से प्याज खरीदना पसंद किया। तीसरा बाजार श्रीलंका है, लेकिन हर कोई वहां की स्थिति जानता है और कोई भी अपनी उपज भेजने के लिए जोखिम नहीं उठा रहा है।”
उन्होंने कहा कि सरकार को यह प्याज खरीदना चाहिए या किसानों को सब्सिडी देनी चाहिए।
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