अहमदाबाद: देश भर में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIT) के अधिकारियों ने कैंपसों का अंतर्राष्ट्रीयकरण (internationalization) करने की सिफारिश की है। इसके लिए विदेशी छात्रों की संख्या को कुल छात्रों के 5% तक करने, 1,000 अंतरराष्ट्रीय छात्रों को छात्रवृत्ति (scholarships) देने और 200 विदेशी अनुभव फैलोशिप देकर परिसरों के उच्च ‘अंतर्राष्ट्रीयकरण’ की सिफारिश की। 30 सितंबर और 1 अक्टूबर को IIT गांधीनगर में चौथे ऑल IIT इंटरनेशनल रिलेशंस कॉन्क्लेव में चर्चा हुई। कॉन्क्लेव में IIT बॉम्बे, दिल्ली, कानपुर, खड़गपुर और मद्रास सहित सभी 23 IIT के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
अधिकारियों ने कहा कि 5% लक्ष्य हासिल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में चार गुना बढ़ोतरी करनी होगी। IIT ने भारत से परे अपनी पहुंच का विस्तार करने के लिए नेपाल, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में केंद्र खोलने का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीयकरण नई शिक्षा नीति (NEP) का एक प्रमुख फोकस है। कॉन्क्लेव में एक अन्य प्रमुख मुद्दा सरकारी योजनाओं, जैसे कि भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) और भारत में अध्ययन के लिए कैलेंडर को व्यवस्थित करने पर भी चर्चा की गई, क्योंकि शैक्षणिक कैलेंडर में अंतर (due to differences in academic calend) के कारण IIT और विदेशी छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति में अंतर था। कॉन्क्लेव में भाग लेने वाले एक अधिकारी ने कहा, “इन योजनाओं के माध्यम से आईआईटी के स्नातक कार्यक्रमों (graduate programmes) में दाखिला लेने वाले सैकड़ों अंतरराष्ट्रीय छात्र हर साल छूट जाते हैं, क्योंकि उन्हें छात्रवृत्ति नहीं मिलती है, या निर्णय बहुत देर से आते हैं।” बैठक में चर्चा किए गए अन्य विषयों में छात्र भर्ती (student recruitment), छात्र विनिमय (exchange) और अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के शैक्षिक और सांस्कृतिक अनुभव को मजबूत करने के तरीके शामिल थे।