चार दशक तक गुजरात की सियासत (Gujarat politics )अहमद पटेल (Ahmed Patel )के इर्द -गिर्द घूमती रही ,चाहे वह कांग्रेस की सियासत हो या भाजपा की। पर्दे के पीछे से देश की राजनीति के हरफनमौला खिलाड़ी रहे पटेल यदि कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के आँख – कान रहे तो यूपीए के सहयोगियों के लिए भरोसेमंद ” अहमद भाई ” जिनके पास हर समस्या का समाधान होता था। दलीय सीमा से परे विपक्षी खेमा एनडीए में ” पटेल साब ” की साख उतनी ही थी जितनी कांग्रेस में।
लेकिन 10 दिन तक कोरोना से लड़ने के बाद ने 71 वर्षीय अहमद पटेल 25 नवंबर 2020 को सुबह 3. 30 बजे जन्नत का रुख अख्तियार कर लिया।
अक्सर देर रात तक विशिष्ठ मुलाकात करने वाले पटेल के निधन के बाद कांग्रेस में संवादहीनता है। पटेल समर्थक नेताओ को समझ नहीं आ रहा की वह कहा जाएँ , किससे बात करे , इसलिए कई भाजपा में शामिल हो गए। यह अहसास अहमद पटेल की बेटी को भी है कि उनके पिता के समर्थकों की ” फ़ौज ” है जो नेतृत्व की तलाश में है।
कांग्रेस सुप्रीमों सोनिया गाँधी( Sonia Gandhi )के दो दशक से अधिक समय तक राजनीतिक सलाहकार (Political advisor) रहे स्वर्गीय अहमद पटेल की 45 वर्षीय बेटी मुमताज पटेल सिद्दीकी (Mumtaz Patel Siddiqui )उनकी सियासी विरासत को आगे बढ़ाना चाहती है। मुमताज की राजनीति को लेकर दिलचस्पी छिपी नहीं है , वह भरुच में अहमद पटेल के पैतृक गांव पीरामण में अहमद पटेल द्वारा बनाये गए सेवकीय संगठन का काम देख रही है। साथ ही मदद के लिए आने वाले लोगों की सहायता करने की कोशिश करती हैं। ट्रस्ट का काम देखती हैं। वह 2024 के आम चुनाव में भागीदारी का मन बना रही है। मुमताज के मुताबिक उन्होंने अगस्त 2020 में भी अहमद पटेल के सामने भी राजनीति में आने की इच्छा जताई थी लेकिन महत्वाकांक्षा विहीन पटेल को राजनीति की दुश्वारियों का बेहतर पता था , इसलिए उन्होंने यह कर मना कर दिया था कि” राजनीति गंदी चीज” है, तब भी मुमताज ने कहा था जब तक आप हैं तब तक ठीक है , उसके बाद ? तब पटेल ने सोचने के लिए समय मांगा था लेकिन वह समय कभी खत्म नहीं हुआ।
एक दौर था जब अहमद पटेल के पीरामण आने की खबर सुनते ही दक्षिण और मध्य गुजरात के सीमावर्ती इस गांव में बड़ी गाड़ियों का ताँता लग जाता था, लेकिन अब वह परिवार संघर्ष में है। जिनके इशारे पर किसी को भी बंगला गाड़ी मिल जाती थी , उन एपी की विधवा और बच्चों को दिल्ली में एक स्थायी आवास के लिए संघर्ष करना पड़ा। सोनिया गाँधी ने भी कांग्रेस के नेताओं को मदद के लिए कहा लेकिन कोई मदद काम नहीं आयी, लोंगो को डर था की अहमद पटेल का परिवार है घर खाली नहीं किया तो ? बाद में एक पारिवारिक मित्र के सहयोग से घर मिला जिस पर परिवार रह रहा है लेकिन वह घर पसंद का नहीं है। 28 साल तक 23, विलिंगडन क्रिसेंट, का बंगला राज्यसभा सांसद के तौर पर अहमद पटेल का स्थायी पता था। एपी ( अहमद पटेल ) ने दिल्ली में कोई घर लिया ही नहीं था।
संदेसरा बंधुओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नाम आने के बाद कोई व्यापारिक सम्बन्ध भी नहीं रख रहा ,ईडी का डर है , कि कहीं वह भी जांच के घेरे में ना आ जाये। मुमताज पटेल के मुताबिक उनके पति के साथ 90 प्रतिशत लोगों ने व्यापार बंद कर दिया है। जबकि भाई फैसल की दवाइयां चल रही है। आर्थिक संकट भी परिवार के सामने हैं। ईडी की छापेमारी ने मानसिक, भावनात्मक, वित्तीय, सभी प्रकार के तनाव पैदा किए और हम ( अहमद पटेल परिवार )अभी भी इससे निपट रहे हैं।
बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई पर ट्वीट कर अपनी सशक्त प्रतिक्रिया देने वाली मुमताज कहती हैं मै महिला हुं , दो बेटियों की माँ हु , इसलिए मैंने प्रधान मंत्री को लिखा यह हिंदू -मुसलमान का मामला नहीं है यह महिला के साथ बलात्कार का मामला है। हालांकि मुमताज इस बात के लिए प्रधानमंत्री को याद करती है कि पटेल जब गुड़गांव की वेदांता में भर्ती थे और परिवार को स्वास्थ्य की जानकारी नहीं मिलती दी तब पीएम के दखल के बाद उन्हें जानकारी मिलने लगी थी और निधन के बाद पहला फ़ोन भी उनका आया था , दूसरा सोनिया गाँधी का। पिछले साल फरवरी में फैसल ( अहमद पटेल के बेटे ) के साथ मुमताज संसद भवन में पीएम मोदी( PM Modi )से मिलने तो पीएम ने 20 मिनट तक अपने कार्यालय में मुलाकात की । कोई एजेंडा नहीं था फिर भी।
मुमताज कांग्रेस के हालात पर चिंतित हैं। वह मानती है कि कांग्रेस में नेता तो हैं लेकिन कार्यकर्ता को पता नहीं है कि वह अपनी बात किसको कहें , अपनी समस्या किसको कहें ,इसलिए लोग दूसरे दल में जा रहे हैं। पटेल साहब थे तो वह सबको सुनते थे और उनके समाधान की कोशिश करते थे। सियासत में आने की इच्छा अहमद पटेल के पुत्र फैसल भी जता चुके हैं ,लेकिन स्वास्थ्य दिवार है। ऐसे में देखना होगा कि देश की राजनीति में ध्रुव तारा की तरह चार दशक और गाँधी परिवार की चार पीढ़ियों ( इन्द्रिरा गाँधी – राजीव गाँधी – सोनिया गाँधी – राहुल गाँधी ) के संकट मोचक रहे ” एपी ” की विरासत को मुमताज कहा तक आगे बढ़ा सकती हैं।
अहमद पटेल के बेटे फैसल ने दिखाए बागी तेवर , इंतजार करते करते थक गया ,विकल्प खुले