- नोटबंदी के पांच साल बाद भी मिल रहे विमुद्रीकृत नोट
- आतंकवाद और नक्सलवाद की कमर तोड़ने के लिए की गयी नोटबंदी बया कर रही विफलता की कहानी
काला धन ,आतंकवाद ,और नक्सलवाद की कमर तोड़ने के उद्देश्य से 8 नवम्बर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में 1000 और 500 की गाँधी सीरीज की नोट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में विमुद्रीकृत करने की घोषणा की थी। बाजार में प्रचलित नोटों को निश्चिच समय और निश्चित मर्यादा में बैंक से बदलवाना था। लेकिन सरकार के आकड़े दोनों उद्देश्यों को विफलता की कहानी बयां कर रहे हैं ,अहम तथ्य यह भी है कि गुजरात विमुद्रीकृत और जाली नोट दोनों मामलो में शीर्ष पांच राज्यों में है।
आकड़ो के मुताबिक 2016 में गुजरात से कुल 2,37,2 4,050 रुपये की नोट पकड़ी गयी जो देश में सबसे ज्यादा था , जबकि देश में कुल 15,92,50,181 रुपये के नकली नोट पकडे गए। यानि हर पकड़ा गया हर 7 वा रूपया गुजरात से था। दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल 2 ,32 ,95 800 और तीसरे पर आंध्रप्रदेश 92, 80,000 नकली नोटों के साथ था , शहर आधारित राज्य में दिल्ली 56521460 रुपये के साथ शीर्ष पर था।
गुजरात और दिल्ली को मिला कर हर दूसरा जाली नोट इन्ही दो राज्यों से पकड़ा गया।
नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ में यह आकड़ा 0 रहा , जबकि सिक्किम, अंड़मान द्वीप समूह ,दमन और दीव और लक्षद्वीप में भी एक भी रुपये की जाली नोट नहीं पकड़ी गयी।
बुरी तरह से आतंकवाद प्रभावित राज्य जम्मू कश्मीर में 1,30,100 की ही नकली जाली नोट पकड़ी गयी।
इसी तरह 2017 में देश में कुल यानी नोटबंदी के बाद नकली नोटों में 90 प्रतिशत से अधिक का उछाल आया। 2017 में देश में 28,10,19, 294 के नकली नोट पकडे गए।
जिसमे गुजरात से 9,00,88,850 रुपये के नकली नोट पकडे गए। यानि लगभग हर पकड़ा गया चौथा नकली नोट गुजरात से था। बंद हुयी एक हजार और 500 के नोट की संख्या क्रमशः 16742 और 21805 थी जिनका मूल्य 2 ,76 ,44 ,500 था।
यानि गुजरात में पकड़ा नकली नोटों का हर तीसरा रुपया प्रतिबंधित नोटों का था। आतंक प्रभावित जम्मू कश्मीर से 1211450 रूपया ही बरामद हुआ जबकि नक्सल प्रभावित राज्य झारखण्ड में यह संख्या 0 थी।
शहर आधारित राज्य दिल्ली में 6 ,7896250 नकली नोट बरामद हुए , जिसकी कानून व्यवस्था केंद्र सरकार के आधीन है। आंध्रप्रदेश ,केरल ,उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल उन राज्यों में शामिल रहे जहा 1 करोड़ से अधिक की नगदी बरामद हुयी , जबकि अरुणांचल प्रदेश ,झारखंड ,मेघालय ,सिक्किम, त्रिपुरा ,अंड़मान द्वीप समूह ,दमन और दीव और लक्षद्वीप,चंडीगढ़ ,दादरा नगर हवेली ,पांडुचेरी उन राज्यों में रहे जहा से कोई नकली नोट नहीं पकड़ी गयी।
2018 में देशभर में पकडे गए नकली नोटों का आकड़ा घटकर 17,95,36,992 था। जिसमे गुजरात का योगदान 1 ,23 ,28 ,672 रुपये था। तमिलनाडु से सबसे ज्यादा 2 ,84 ,91, 710 रुपये की नकली नोट पकड़ी गयी।
गुजरात तीसरे नंबर पर रहा। उत्तर प्रदेश 1,33,28,860 के साथ दूसरे नंबर पर था।
एक भी रुपये की नकली नोट बरामद ना होने वाले राज्यों की संख्या 11 रही जिनमे ज्यादातर केंद्र शासित प्रदेश और पूर्वोत्तर के राज्य शामिल है। दिल्ली से फिर 3,63,22,950 के नकली नोट बरामद हुए।
2019 में गुजरात से पकड़ी गयी जाली नोटों का मूल्य 3 ,77 ,44 ,010 रुपये था। दूसरे नंबर पर आँध्रप्रदेश 3,70,85,600 रहा।
जबकि देश के कुल मूल्य जब्त हुयी 25,39,09,130 थी। 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कोई बरामदगी नहीं हुयी।
वही 2020 में देश से बरामद नकली नोटों का आकड़ा घटकर 9,21 ,78, 048 हो गया , जिसमे गुजरात का भी आकड़ा घटकर 8796490 हो गया।
हालांकि 2010 में गुजरात से बंद हुयी 1000 और 500 की पुरानी नोटों के मिलने का सिलसिला जारी रहा। आतंकवाद प्रभावित जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में बरामदगी लगभग ना के बराबर है।
गुजरात कांग्रेस के पूर्व प्रमुख अर्जुन मोढवाडिया ने वाइब्स ऑफ इंडिया से कहा कि गुजरात से जितने नकली नोट बरामद हुए है , उससे ज्यादा बाजार में चल रहे हैं।
नोटबंदी के इतने साल बाद भी पुराने नोट लोग क्यों रखे हैं और उन्हें क्या फायदा होता है यह अपने आप में सवाल है। गुजरात सरकार को नकली नोटों पर श्वेत पत्र लाना चाहिए।
नोटबंदी के जो बताये गए उद्देश्य थे उसमे सरकार विफल रही है , जो अघोषित उद्देश्य थे उनमे जरूर सफल हुयी है।
वही प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और पब्लिक फाइनेंस में 2 किताब लिख चुके वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के एचओडी (Dr. S.Srinivasa Rao) डॉ एस श्रीनिवास राव कहते है ” नोटबंदी का सीधे तौर से आतंकवाद या नक्सलवाद से कोई संबंध ही नहीं है। बाजार में नकली और पुरानी नोट है , जिससे सीधा नुकसान देश को राजस्व के तौर पर होता है। “
गुजरात और दिल्ली जैसे राज्यों में ज्यादा नकली नोट मिलने का कारण वह “निर्माण उधोग और कारखानों में नकद मजदूरी को मानते हैं।
डॉ एस श्रीनिवास राव के मुताबिक जहां नगद वेतन देना होता है वहां नकली नोट खफाना आसान है। गुजरात में नगद राशि का इस्तेमाल ज्यादा होता है , वेतन के तौर पर वह आसानी से बाजार में खफ जाता है। “
गुजरात भाजपा के मुख्य प्रवक्ता डॉ यमल व्यास कहते हैं गुजरात में पुलिस कार्यवाही करती है , इसलिए जाली नोट पकडे जाते हैं , यह तो अच्छी बात है कि गुजरात पुलिस इतनी सजग है।
वाइब्स ऑफ इंडिया इस मामले पर इस मामले पर गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी का पक्ष जानने की कोशिश की लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया। उनके बयान के बाद खबर को अपडेट किया जायेगा।