देश भलेआज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा हो, लेकिन असली आज़ादी 2014 ..

Gujarat News, Gujarati News, Latest Gujarati News, Gujarat Breaking News, Gujarat Samachar.

Latest Gujarati News, Breaking News in Gujarati, Gujarat Samachar, ગુજરાતી સમાચાર, Gujarati News Live, Gujarati News Channel, Gujarati News Today, National Gujarati News, International Gujarati News, Sports Gujarati News, Exclusive Gujarati News, Coronavirus Gujarati News, Entertainment Gujarati News, Business Gujarati News, Technology Gujarati News, Automobile Gujarati News, Elections 2022 Gujarati News, Viral Social News in Gujarati, Indian Politics News in Gujarati, Gujarati News Headlines, World News In Gujarati, Cricket News In Gujarati

देश भले आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा हो, लेकिन असली आज़ादी 2014 के बाद मिली – स्वामी परमात्मानंद सरस्वती

| Updated: July 31, 2022 19:47

देश को राजनीतिक आज़ादी भले ही 1947 में मिल गयी हो , हम आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हो लेकिन सांस्कृतिक आज़ादी देश 18 मई 2014 को प्रधनमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ही मिली है। अंग्रेज चले गए लेकिन उन्होंने वामपंथियों में अपनी मानसिकता डाल कर गए , जिसके कारण मानव अधिकार की तो बात होती है , लेकिन मानव कर्तव्य की बात नहीं होती। आज दुनिया में हिंदुत्व का प्रसार हो रहा है।

 “स्व ” की कल्पना हिंदुत्व के बिना नहीं हो सकती है।  “ईसाई , इस्लाम, जैन बौद्ध हर धर्म को “राजाश्रय ” मिला लेकिन अपने ही देश हिन्दू कहलाने में शर्म आ रही थी।

नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद हालात बदले हैं

नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद हालात बदले हैं लेकिन सदियों की समस्या एक दिन में हल नहीं होगी इसके लिए सामान विचारधारा के लोग तैयार करने होंगे , जिन्हे स्व पर गर्व हो।

इसलिए अगले एक साल में हाल में उपस्थित लोग कम से कम एक एक व्यक्ति को अपने जैसा वैचारिक तौर से तैयार करे।  “

उक्त उद्गार अहमदाबाद स्थित जोधपुर टेकरा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा आयोजित “स्वराज @75 संघर्ष भारत के “स्व ” का ” कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते स्वामी परमात्मानंद सरस्वती ने व्यक्त किये।

स्वामी परमात्मानंद सरस्वती ने जोर देकर कहा की आज़ादी का अमृत महोत्सव एक ऐतिहासिक कार्यक्रम है , वह भी इस आयोजन के राष्ट्रीय समिति में है , लेकिन “स्व ” की शुरुआत 2014 के बाद हुयी है।  आगे उन्होंने कहा “गुजरात सरकार को दबाव देकर हमने गीता को स्कूलों में पढ़वाना अनिवार्य कराया , उसका पाठ्यक्रम तैयार कराया लेकिन कुछ लोग अदालत में ले गए , अदालत में गीता की कसम खायी जाती है , लेकिन गीता पढाई नहीं जाये ? ये सब क्या है ?

हमें झूठा इतिहास पढ़ाया जा रहा है।

इस दौरान विभाग संघचालक डॉ हरेश ठक्कर ने अपने संबोधन में कहा की हमें झूठा इतिहास पढ़ाया जा रहा है। ” वामपंथी मानसिकता विश्विद्यालय में घुसी है। समाज में घुसी है , शहीनबाग का आंदोलन करने वालो का सम्मान हो रहा है। हमें पढ़ाया गया कि अंग्रेज आये तो हमने उसे स्वतंत्रता का भाव सीखा।

इस देश में अमीचंद , जयचंदो की कमी नहीं है

देश भाव सीखा ” यह इसलिए हुआ क्योकि इस देश में अमीचंद , जयचंदो की कमी नहीं है। कन्हैया नाम रख कर कंस का काम करने वाले आज भी है।  झूठ फैलाया गया कि संघ में झंडा नहीं फहराया जाता ,1920 में कांग्रेस के अधिवेशन में संघ संचालक हेडगेवार ने पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव दिया था।

वामपंथी जीवन मूल्य नष्ट कर रहे है , मोदी सरकार में आने के बाद वह राजनीति से किनारे हो गए तो साहित्य , सिनेमा , और इतिहास को अपना हथियार बनाया है।

रणवीर सिंह के विवादास्पद तस्वीर का उल्लेख करते हुए कहा कि विद्या बालन उसके समर्थन में कहती है जिसको नहीं देखना हो वह ना देखे , और हिन्दुओं का खून नहीं खौलता.

ठक्कर ने आगे कहा कि “ऐतिहासिक स्वराज 2014 के बाद शुरू हुआ है। ब्रिटिश सरकार ने हमारे गौरव की जड़ हिला दी थी , लेकिन 2014 के बाद ऐसे शासक आये जिनको भारतीयता पर गर्व है , हिन्दू होने पर गर्व है , वह छिपाते नहीं है।

“स्वराज @75 संघर्ष भारत के “स्व ” का विमोचन

आज़ादी के अमृत महोत्सव के तहत आयोजित इस कार्यक्रम में स्वामी परमात्मानंद सरस्वती की किताब  “स्वराज @75 संघर्ष भारत के “स्व ” का विमोचन भी किया गया।

इस दौरान कार्यक्रम को डॉ शैलेश झाला संघ चालक बोपल ने सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत को स्वराज देना है तो कर्तव्य आधारित समाज बनाना होगा , सांस्कृतिक आक्रमण हो रहा है , इसका मुकाबला करना होगा।

इस दौरान 300 से अधिक श्रोता मौजूद रहे , जिन्हे तुलसी का पौधा दिया गया।

जानें कैसे उर्दू और भारत ने अफगान और ईरानी सुधारकों को प्रभावित
किया!

फोटो क्रेडिट : हनीफ सिंधी

Your email address will not be published. Required fields are marked *