गुजरात में जहरीली शराब पीने से कम से कम २०से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। लगभग एक दर्जन से ज्यादा बीमार हैं। इनमें अहमदाबाद जिले के चार और सौराष्ट्र के बोटाद जिले के सात लोग शामिल हैं। बता दें कि बोटाद और अहमदाबाद जिले की सीमाएं मिलती हैं। पुलिस को आशंका है कि नकली शराब का स्रोत एक ही हो सकता है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार है।
गुजरात सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं। यह घटना सोमवार शाम को तब सामने आई, जब मौत का एक ही पैटर्न देखा गया। बोटाद जिले के रोजिड गांव में सभी मृतक और बीमार लोगों ने शराब पी थी। उन्होंने सोमवार की सुबह शराब पी थी।
आश्चर्यजनक रूप से गुजरात आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) की एक टीम भी शराब से हुई मौतों वाली जगह पर पहुंच गई। यहां तक कि जांच कर रही राज्य पुलिस ने इस मामले में एटीएस के अधिकार क्षेत्र और आवश्यकता के बारे में सवाल किए हैं।
बता दें कि रोजिड गांव के सरपंच जेडी डुंगरानी बारवाडा थाने को नियमित रूप से पत्र भेजकर गांव में शराब बेचने और सेवन करने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ तत्काल और कड़ी कार्रवाई करने की मांग कर रहे थे। उनका आखिरी पत्र पिछले महीने का ही था। जिस पत्र की कॉपी वाइब्स ऑफ इंडिया के पास है, उसमें लिखा है: हमारे गांव में शराब की बेलगाम बिक्री हो रही है, जिसने उन सभी में भय का माहौल पैदा कर दिया है जो न तो इस धंधे से जुड़े हैं और न ही इस देसी शराब का सेवन करते हैं। शराब पीने के बाद उपद्रवी और असामाजिक तत्व युवतियों और महिलाओं से छेड़छाड़ करते हैं। यह एक असामाजिक गतिविधि है, जो गांव में चल रही है। अगर इसे सत्ताधारियों द्वारा तत्काल नहीं रोका गया; तो हमें इस छोटे से गांव में बहुत जल्द किसी बड़ी अनहोनी, अवांछित घटना की आशंका है। इसलिए हम आपसे अनुरोध करते हैं कि हमारे गांव में शराबबंदी को सख्ती से लागू करें और इस असामाजिक गतिविधि को रोकने के लिए पुलिस गश्त शुरू करें।
बोटाद के डीएसपी करनराज वाघेला और उनकी टीम ने एक महिला शराब कारोबारी और उसके साथियों को हिरासत में लिया है। माना जाता है कि महिला गांव में दबंगई अंदाज में देसी दारू का अड्डा चला रही थी। शुरू में उसने यह मानने से इनकार कर दिया कि उसके यहां नकली शराब बेची गई थी। विडंबना यह है कि गुजरात में शराबबंदी है और शराब की किसी भी बिक्री, वितरण या खपत के लिए कड़ी पुलिस कार्रवाई की जाती है। फिर भी गुजरात में न केवल शराब आसानी से उपलब्ध है; बल्कि ऐसा माना जाता है कि धंधेबाज और पुलिस में सांठगांठ रहती है, जिससे शराब का विशाल साम्राज्य चल रहा है। इस बीच, भावनगर से मेडिकल टीमों को बोटाद भेज दिया गया है।
क्षेत्र के कांग्रेस नेता मनहर पटेल ने बोटाद के डीएसपी करनराज वाघेला और बरवाडा के मामलातदार को इस सिलसिले में ईमेल किया है। आईपीएस अधिकारी वाघेला को मामले को गंभीरता से देखने के लिए कहा है। मनहर ने पीएसआई को सरपंच के पत्र का हवाला दिया और जोर दिया कि पीएसआई द्वारा कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई थी। उन्होंने डीएसपी से हस्तक्षेप की मांग की। लेकिन दुर्भाग्य से, पिछले 100 दिनों से कुछ नहीं किया गया।
पुलिस के एक शीर्ष सूत्र ने वाइब्स ऑफ इंडिया को बताया कि हालांकि आधिकारिक मौत के आंकड़ों की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन उन्हें यकीन है कि जहरीली शराब से अब तक कम से कम २० से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। सूत्रों ने बताया कि डीआईजी भावनगर रेंज अशोक कुमार यादव ने गांव का दौरा कर जांच शुरू कर दी है। हमारे सूत्र बताते हैं कि पुलिस द्वारा महिला धंधेबाज से पूछताछ के बाद मंगलवार शाम तक कुछ पुलिसकर्मियों को निलंबित किया जा सकता है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि गुजरात पुलिस ने अभी तक आधिकारिक तौर पर यह घोषित नहीं किया है कि ये मौतें गुजराती में लठो के रूप में जानी जाने वाली नकली शराब के सेवन से हुई हैं। विपक्ष ने इसे सत्तारूढ़ भाजपा पर हमला करने का एक अच्छा कारण माना है।
आप के वरिष्ठ नेता अरविंद केजरीवाल ने कहा, ‘गुजरात में शराबबंदी है, फिर भी अवैध शराब वहां बड़े पैमाने पर उपलब्ध है। कौन हैं जो इस अवैध और नकली शराब को बेचते हैं? बेचने वालों को सरकारी सुरक्षा प्राप्त है। पैसा कहां जाता है? गुजरात के नकली शराब मामले की जांच होनी चाहिए।