भारी बारिश से गुजरात में 5,000-6,000 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है। यह अनुमान वहां के उद्योग जगत ने लगाया है। इस बीच, राज्य सरकार कई हिस्सों में मूसलाधार बारिश और बाढ़ के प्रभाव का सर्वे कर रही है।
गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (GCCI) के अनुसार, भारी बारिश से बाढ़ आ गई है। इससे माल की आवाजाही और कारखाने के उत्पादन में बाधाएं खड़ी हो गई हैं। दक्षिणी, पश्चिमी, मध्य और उत्तरी गुजरात के कुछ हिस्सों में स्थिति गंभीर है।
राज्य सरकार के बयान के अनुसार, भारी बारिश से राज्य में सरदार सरोवर बांध सहित 207 बड़े बांध और जलाशय 50 प्रतिशत से अधिक क्षमता तक भर चुके हैं। इनमें से 42 बांध और जलाशय या तो शत-प्रतिशत भरे हुए हैं या ओवरफ्लो हो रहे हैं। इसके चलते राज्य सरकार ने हाई अलर्ट जारी कर दिया है।
अकेले 10 जुलाई को अहमदाबाद के कई हिस्सों में पानी भर गया। शहर में महज तीन घंटों में रिकॉर्ड 115 मिमी बारिश हुई। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने पिछले सप्ताह अहमदाबाद और गुजरात के अन्य हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश की भविष्यवाणी की थी। गुजरात में पहले से ही 850 मिमी की औसत मौसमी वर्षा का 50 प्रतिशत से अधिक हो चुका है।
जीसीसीआई के अध्यक्ष पथिक पटवारी ने कहा कि इन क्षेत्रों में कुल नुकसान का अनुमान 5,000-5,200 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा, “उद्योग ने पहले अकेले अहमदाबाद में 1,000-1,200 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया था। दक्षिणी गुजरात, विशेष रूप से सूरत, वापी और नवसारी जैसे औद्योगिक केंद्रों में भारी बारिश और बाढ़ का प्रकोप जारी है। ऐसे में नुकसान 2,000 करोड़ रुपये से भी अधिक हो सकता है। इसके अलावा, पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी सौराष्ट्र क्षेत्रों में भी समान प्रभाव देखा जा सकता है।”
इसी तरह, राज्य में ट्रांसपोर्टरों ने भी 11-16 जुलाई सप्ताह के दौरान 500 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान का अनुमान लगाया है। अखिल गुजरात ट्रक ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष मुकेश दवे के अनुसार, यह न केवल शहरों और गुजरात के अंदरूनी हिस्सों में बारिश के कारण सड़कों को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि यह भी है कि महाराष्ट्र और दक्षिण गुजरात के कुछ हिस्सों में 5,000 से अधिक ट्रक राजमार्गों पर फंस गए हैं।
दवे ने कहा, “महाराष्ट्र और गुजरात के बीच अंतर-राज्यीय आवाजाही में बारिश, जलजमाव और यहां तक कि गुजरात के धरमपुर और सापुतारा जैसे महत्वपूर्ण स्थानों में भूस्खलन के कारण औसतन तीन से चार दिनों की देरी से ट्रकों का टर्नअराउंड बाधित हो गया है। गौरतलब है कि इसी के जरिये उत्तर- दक्षिण गलियारा गुजरता है। अकेले गुजरात में माल ढुलाई को 500 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान उठाना पड़ सकता है। ”
लिग्नाइट जैसे ईंधन की कमी से कई सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) भी प्रभावित हुए हैं। दवे ने कहा, “कच्छ में बाढ़ के साथ ट्रकों और डिस्पैच पर शायद ही कोई लिग्नाइट लोड हो रहा है। जबकि कच्छ और बाकी गुजरात के बीच संपर्क बाधित हुआ है। कुल मिलाकर मुंबई-अहमदाबाद मार्ग पर एक दिन में औसतन 11,000 ट्रक आते हैं, लेकिन पिछले सप्ताह 50-60 प्रतिशत आवाजाही बाधित हुई। सप्ताहांत में अब बारिश कम होने के साथ, सोमवार से चीजें सामान्य हो रही हैं। ”
दक्षिण गुजरात टेक्सटाइल प्रोसेसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जीतू वखारिया के अनुसार, इस साल भारी बारिश के कारण लिग्नाइट खनन प्रभावित हुआ है। इसी के साथ सूरत, अहमदाबाद और भरूच जैसे शहरों में ईंधन का उपयोग करने वाली 1,000 से अधिक कपड़ा, रसायन और अन्य इकाइयों ने उत्पादन में गिरावट देखा है।
वखारिया ने कहा, “गुजरात खनिज विकास निगम, जो लिग्नाइट का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है, पिछले सप्ताह (11-17 जुलाई) भारी बारिश के कारण सप्लाई नहीं कर पाया है, जिससे सभी क्षेत्रों में इकाइयों का उत्पादन प्रभावित हुआ है।”
अपनी ओर से GCCI ने भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण को पत्र लिखकर सामान्य बीमा कंपनियों को कम से कम 75 प्रतिशत दावा वितरण तुरंत जारी करने और बाकी को कागजी कार्रवाई और समीक्षा समाप्त होने के बाद जारी करने का निर्देश दिया है। पटवारी ने कहा, “इसके अलावा, बारिश के प्रभाव को देखते हुए हमने तेजी से दावा वितरण के लिए नुकसान के त्वरित आकलन करने और अधिक सर्वेक्षकों को तैनात करने का भी अनुरोध किया है।”
हालांकि जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय के प्रिंसिपल और डीन-एग्रीकल्चर एसजी सावलिया के मुताबिक, फसलों पर असर का आकलन करने के लिए राज्य सरकार के विस्तृत सर्वे का इंतजार है। उन्होंने कहा, “जहां भी प्री-मानसून की बुवाई हुई है, खासकर मूंगफली जैसी फसलों में, और जहां बाढ़ जैसी कोई स्थिति नहीं है, वहां बारिश काफी हद तक फायदेमंद रही है। बहरहाल, वास्तविक प्रभाव तभी पता चलेगा जब सरकार अपना सर्वे पूरा करेगी।”
इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात को सहायता का आश्वासन दिया है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भी हाल ही में छोटा उदयपुर और नर्मदा जिलों का हवाई सर्वेक्षण किया था।