- गुजरात दंगों पर अमित शाह ने तोड़ी चुप्पी,लोगों में आक्रोश था
- गोधरा ट्रेन में 59 लोगों को जिंदा जला दिया, मैं खुद हॉस्पिटल गया, कोई नहीं बोला सिवाय भाजपा के
गुजरात दंगे से जुड़े मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की क्लीन चिट को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने क्लीन चिट के खिलाफ जाकिया जाफरी की याचिका को खारिज कर दिया। इस मसले पर बात करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाने वालों को माफी मांगनी चाहिए। शाह ने कहा कि दंगे होने का मुख्य कारण गोधरा की ट्रेन को जला देना था। उन्होंने कहा, “16 दिन की बच्ची को उसकी मां की गोद में बैठे हुए जिंदा जलते हुए मैंने देखा है, अपने हाथों से अंतिम संस्कार किया है।”
न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा कि इस कारण दंगे हुए। उन्होंने कहा, “और जो आगे दंगे हुए हैं वो राजनीति से प्रेरित थे। डेड बॉडीज का कोई परेड नहीं किया था, 16 सिविल अस्पताल में ले जाया गया और बंद एंबुलेंस में उनके परिवार वाले शव को ले गए। मैं खुद अस्पताल में था, चारों तरफ जली हुई लाशें थीं।”
फायरिंग में मुसलमान नहीं मारे गए, लेकिन दंगों में मुसलमान मारे गए न। इस सवाल पर अमित शाह ने कहा, “जिस तरह से 60 लोगों को जिंदा जला दिया गया था, उसका समाज में आक्रोश था। जब तक दंगे नहीं हुए तब तक किसी ने इसकी आलोचना तक नहीं की, सिवाय भारतीय जनता पार्टी के। कांग्रेस पार्टी का एक भी बयान नहीं है, उस दिन संसद चल रही थी। किसी ने दुख भी व्यक्त नहीं किया। 60 लोगों को जिंदा जलाने की घटना की निंदा भी नहीं करेंगे आप? इतनी बड़ी वोट बैंक पॉलिटिक्स होगी?”
मित शाह ने कहा, “आज सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कह दिया कि जाकिया जाफरी किसी और के निर्देशन पर काम करती थीं। कई सारे पीड़ितों के हलफनामे एनजीओ ने साइन कर दिए। विक्टिम को पता ही नहीं है। सब जानते हैं कि तीस्ता सीतलवाड़ की NGO ये सब कर रही थी और उस समय की आई यूपीए की सरकार ने NGO की बहुत मदद की है। गुजरात में हमारी सरकार थी लेकिन एनजीओ की भारत सरकार ने की। सब जानते हैं कि ये केवल मोदी जी की छवि खराब करने के लिए किया गया था। दंगों के केस में मोदी जी की लिप्तता बनाने के लिए ये किया गया। लेकिन सत्य को कुछ नहीं होता है।”
गुजरात दंगों को रोकने के लिए पुलिस और अधिकारियों के कथित कुछ न कर पाने के सवाल पर गृह मंत्री ने कहा, “भाजपा विरोधी राजनीतिक पार्टियां,कुछ विचारधारा के लिए राजनीति में आए पत्रकार और NGO ने मिलकर आरोपों का इतना प्रचार किया और इनका इकोसिस्टम इतना मजबूत था कि लोग इनको ही सत्य मानने लगे।”
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