- नीव के पथ्थरों को भुलाने की पम्परा रही कायम
गुजरात में सरकार बनाने के दावा कर रही आम आदमी पार्टी की नयी कार्यकारणी की घोषणा के साथ ही एक तरफ बधाई तो दूसरी तरफ आक्रोश का दौर शुरू हो गया है , सूरत से खड़ी आप सूरत ही केंद्रित नजर आ रही है। प्रदेश कार्यकारणी के एक 107 नाम से 33 सूरत के है उसमे भी पटेल बहुलता है। पार्टी सूत्रों का कहना है की नयी कार्यकारणी केवल दो – चार पुराने लोगों को ठिकाने लगाने की कोशिश है , जिसमे सफलता भी मिली है , गुजरात में अन्ना आंदोलन के समय से जुड़े प्रो किशोर देसाई को किनारे कर उन्हें ” विंग ” की जिम्मेदारी दी है , प्रदेश प्रमुख , महासचिव , सचिव तमाम ना केवल सूरत में 7 किलोमीटर के हैं बल्कि एक ही समुदाय के हैं।
तेरा -मेरा का खेल आप में शुरूआती दौर में शुरू हो गया है , आप का एक बड़ा तबका इससे नाराज है आप सूत्रों के मुताबिक नीव के पथ्थरों को भुलाने की पम्परा रही कायम रही है , कुछ इस्तीफ़ा का रास्ता अपना रहे है कुछ शिकायत का। विपक्षी दल भी नाराज लोगो के सम्पर्क में हैं। पूर्व उपप्रमुख और नयी कार्यकारणी में सहकारिता सेल के प्रमुख ने इस्तीफ़ा दे दिया है। भीमा चौधरी ने नए पदों से दिया इस्तीफा है , वह आप के पुराने पदाधिकारियों में से एक थे।
इसी तरह तापी जिला के पूर्व प्रमुख महेश गामित ,महामंत्री उमेश पटेल ,व्यारा प्रमुख सुरेश गामीत समेत उनकी टीम ने इस्तीफ़ा दे दिया है। पार्टी के पूर्व महासचिव जयदीप पंड्या को हटाने की कवायद इतनी तेज थी , की घोषणा के साथ ही उनकी नाम पट्टिका और फोटो हटा दी गयी। पूर्व महिला प्रमुख रीतू बंसल , प्रदेश मंत्री अभिषेक मंत्री भी नाराज होकर अपनी नाराजगी जताने के लिए आप के सभी वाट्सएप समूह से बाहर हो चुके है।
नाराज पदाधिकारियों की सूची बढ़ती जा रही है ,गुजरात प्रदेश के सह मंत्री धनसुख गुजराती, अहमदाबाद जिलाध्यक्ष किरण पटेल,पार्टी के पूर्व कोषाध्यक्ष एमएम शेख ,पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य जयदीप पांड्या ने पार्टी के सभी व्हाट्सएप ग्रुप को छोड़ दिया है। पार्टी के युवा अध्यक्ष प्रवीण राम भी नाराज बताये जा रहे हैं उन्हे और बेहतर की उम्मीद थी। चर्चा है कि नए संगठन के नाम पर सिर्फ सूरत के लोगों का दबदबा बढ़ाने के लिए , यह कवायद की गयी है। पार्टी को धोखा देकर बीजेपी में शामिल हुए पार्षदों को भी पार्टी ने बड़ा ” इनाम ” दिया है। प्रदेश संगठन के 107 सदस्यों में 33 सूरत के हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक यह नाराजगी का सिलसिला विधानसभा स्तर पर है , हालांकि दूसरे गुट यह मानना है की सर्वे के आधार पर निर्णय लिया गया है। एक तबका संगठन में कब्ज़ा जमा कर बैठा था लेकिन अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहे थे , हालाकि दूसरी तरफ लोगो यह भी है की एक लाबी लगातार पदोन्नति पा रही है जबकि झंडा बैनर उठाने वालो के लिए ” ज़िंदाबाद “ही है।
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