- सरदार पटेल स्टेडियम का नाम नरेंद्र मोदी स्टेडियम करने पर जन आंदोलन करने की तैयारी
- सरदार पटेल ग्रुप समेत पास के बड़े घटक समेत विभिन्न संगठनों का मिला समर्थन
गुजरात विधानसभा के पहले एक बार फिर पटेल सियासत का ताना -बाना बुना जा रहा है , खास तौर से हार्दिक पटेल के भाजपा में शामिल होने के बाद आंदोलन कारी पटेल घटको की नाराजगी को बुनाने के लिए व्यापक रणनीति के तहत एक नए आंदोलन की रूप रेखा तैयार की गयी है , और विपक्षी दल कांग्रेस खुल कर आंदोलन के साथ है। लेकिन यह आंदोलन शख्सियत आधारित होगा। सरदार पटेल स्टेडियम का नाम नरेंद्र मोदी स्टेडियम करने पर दो शख्सियत की लड़ाई और भावनात्मक लाभ की पूरी रुपरेखा तैयार की गयी है। मै हु सरदार , की टोपी में इस बार पटेल समाज के साथ समाज के सभी तबको की हिस्सेदारी तय करने की कोशिश हो रही। खादी की टोपी और सरदार स्वाभिमान के मूल मंत्र के साथ सत्ता बदलने का आह्वान किया जायेगा।
खादी की टोपी और सरदार स्वाभिमान के मूल मंत्र के साथ सत्ता बदलने का आह्वान
जिसकी पहली झलक आज शाहीबाग स्थित सरदार पटेल म्यूजियम में देखने को मिली। सरदार पटेल ग्रुप (एसपीजी) के लालजी पटेल , पास के विभिन्न आंदोलनकारी , पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला , गुजरात कांग्रेस प्रमुख जगदीश ठाकोर , पूर्व प्रमुख सिद्धार्थ पटेल , दीपक बाबरिया ,परेश धनाणी , हिम्मत सिंह पटेल , वीर जी ठुम्मर , सेवादल के राष्ट्रीय प्रमुख लाल जी देसाई समेत कांग्रेस के दर्जन भर से ज्यादा विधायक और दूसरी पक्ति के सैकड़ो नेता सरदार स्वाभिमान समिति के बैनर तले आयोजित एक मंच पर उपस्थित रहे।
आयोजन का उद्देश्य नरेंद्र मोदी स्टडियम का नाम वापस बदल कर सरदार पटेल स्टेडियम रखने के हर संभव आंदोलन करना था।अध्यक्षता पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा सरदार पटेल स्मारक ट्रस्ट के अध्यक्ष दिनशा पटेल ने की जबकि मुख्य वक्त वरिष्ठ पत्रकार हरी देसाई रहे। लेकिन सबके निशाने पर हार्दिक पटेल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रहे।
आंदोलन करने से नाम नहीं बदला जायेगा , नाम बदलने के व्यवस्था बदलनी होगी
पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला ने कहा की आंदोलन करने से नाम नहीं बदला जायेगा , नाम बदलने के व्यवस्था बदलनी होगी। कुछ दिन पहले कुछ शिक्षक संगठन मेरे पास आये थे , कह रहे थे हमने 50 हजार शिक्षकों का आंदोलन किया , मैंने कहा जिस सरकार ने आपको आंदोलन करने के लिए बाध्य किया उस सरकार को बदल दो , आंदोलन भी करो , वोट भी दो यह नहीं चलेगा। चार महीना में चुनाव है तब तक इतने मजबूत हो जाओ की सरकार को बदल दो। मैं आंदोलन में पूरी तरह से साथ हु।
वही गुजरात कांग्रेस प्रमुख जगदीश ठाकोर ने कहा की यह बड़ी साजिश है ,आज़ादी के नायको को मिटाने की , नयी संसद भवन इसलिए बनायीं जा रही है ताकि संसद भवन का संग्राहलय को मिटाया जा सके। जिन साथियो ने आंदोलन शुरू किया है वह बधाई के पात्र है , और अगर दिनशा पटेल का मार्गदर्शन मिल रहा है तो निश्चित तौर से नाम भी बदलेगा और सरकार भी।
सरदार केवल गुजरात के नहीं थे , यह देश की लड़ाई है
पूर्व गुजरात कांग्रेस प्रमुख सिद्धार्थ पटेल ने कहा की सरदार केवल गुजरात के नहीं थे , यह देश की लड़ाई है , सरदार – महात्मा गाँधी का उपयोग केवल राजनीति के लिए करते है , महात्मा गाँधी का नाम भुनाने के लिए महात्मा मंदिर बनाया , वहा जाकर पता चलता है , ना महात्मा हैं ना मंदिर , एक आधुनिक कॉन्फ्रेंस हाल है , सरदार के नाम पर ऐसा स्टेच्यू बनाया जिसको देखने के लिए 15 हजार लगते है , कुछ दिन में गाँधी सरदार किताबों में भी नहीं रहेंगे , इसलिए लड़ने का वक्त आ गया है।
वही परेश धनाणी ने कहा की सरदार को केवल पटेलों तक सीमित मत कर देना , सरदार सबके थे , कुछ दिन पहले सरदार की बात करने वाले किसकी गोद में जाकर बैठे है , यह देखना , इसलिए इस बार ऐसा नहीं करना। मै हर तरह से साथ हु।
वही एसपीजी के लाल जी पटेल ने कहा की पाटीदार आंदोलन भी हमने शुरू किया था जो लोग बाद में आये वह आज कहा पलट गए , लेकिन हम पलटने वाले नहीं हैं , जब भी आंदोलन को जरुरत होगी पूरी टीम लेकर खड़ा मिलूंगा। इस सरकार में उपवास करने से कुछ नहीं होगा , सोसल मीडिया से बनी सरकार को सोशल मीडिया से ही गिरना पड़ेगा। जब स्टेडियम का नाम बदला गया तब भी एसपीजी ने जिला स्तर पर विरोध किया था।
जब तक नाम नहीं बदला जायेगा तब तक आंदोलन चलता रहेगा
सरदार स्वाभिमान समिति के संयोजक मिथिलेश आमीन ने कहा की जब तक नाम नहीं बदला जायेगा तब तक आंदोलन चलता रहेगा , अभी यह शुरुआत है। 12 जून को बारडोली में सरदार की उपाधि मिली थी , इसलिए 12 जून को बारडोली में सभा होगी , जबकि 13 जून को मोटेरा के सामने विरोध प्रदर्शन किया जायेगा। उस दिन मोटेरा मार्ग में शक्ति प्रदर्शन होगा।
वही दिनशा पटेल ने अपनी शैली में कहा की डरने की जरुरत नहीं है , अधिक से अधिक जेल होगी , जेल में भी खाना और कपडा मिलता है , मै भी 6 महीना आपातकाल में जेल में था। लेकिन इसको सरदार से कोई लेना देना नहीं है , जिस दिन नाम बदला गया था उसी दिन मैंने विरोध किया था , आंदोलन डर कर नहीं होता , डरना नहीं और उसकी तरह टोपी नहीं बदलना , वह ( हार्दिक पटेल ) भी बात बड़ी बड़ी करता था लेकिन बाद में क्या हुआ ? वही मुख्य वक्त हरी देसाई ने आंदोलन की रुपरेखा और भावी चुनौतियों पर मार्गदर्शन दिया।
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