जहाँ चारों और लॉकडाउन की स्थिति थी और बाहर निकलना बहुत मुश्किल था, उस वक्त अनचाहे गर्भ से बचने के कोई भी यंत्र या चीज़ का मिलना अत्यंत मुश्किल था.
बात की जाए लाक्डाउन से अन्लॉक तक के डेटा की, तो HMIS (Health Management information system ) के अनुसार गुजरात में 2019-2020 तक डॉक्टर द्वारा किए गए कुल गर्भपात की संख्या 2560 थी. वही 2020-2021 में यह संख्या घटकर 1095 हो गयी । अगर अहमदाबाद शहर की बात की जाए तो 2019 से 2021 तक यह आँकड़ा 552 से मात्र 88 रह गया ।
कुछ रिपोर्ट्स के आधार पर लॉकडाउन में अबॉर्शन होने के आँकड़ो में बढ़ोतरी बतायी जा रही थी, इसी पर वाइब्ज़ ओफ़ इंडिया ने जब परिवार नियोजन संगठन, अहमदाबाद शाखा के मुख्य सुरेश मराठा से बात की तो उनके अनुसार अप्रेल 2020 से मार्च 2021 तक देखा जाए तो 1395 गर्भपात प्रजनन स्वास्थ्य एवं परिवार नियोजन गर्भपात केंद्र पर किए गए ।
जिनमे 148 निरक्षर, 49 प्राथमिक शिक्षा, 457 माध्यमिक, 240 उच्च माध्यमिक व 123 उच्च माध्यमिक से भी अधिक शिक्षित थे । यही नहीं इसमें अर्बन स्लम क्षेत्र में 602 संख्या रही वहीं शहरी क्षेत्रों में इसकी संख्या 794 रही ।
उनके गर्भपात की मुख्य वजह अनचाहा गर्भ रहा है क्यूँकि लाक्डाउन के वक्त गर्भनिरोधक की उपलब्धता ना होना, सही जानकारी का ना मिलना व कोविड से पहले गर्भपात प्रक्रिया में कुछ त्रुटि होना रहा है ।
इसी बात पर जब स्त्री रोग विशेषज्ञ से बात की गयी तो उनका कहना है, “लाक्डाउन में तो 55-60% से अधिक गर्भपात इस वक्त हुए । वजह की बात की जाए तो ग़लतफ़हमियो पर आसानी से विश्वास करना, बच्चे की चाह ना होना रहा है ।” वही एक सीनियर स्त्री रोग विशेषज्ञ ने बताया कि, “इस वक्त ज़्यादा से ज़्यादा नवविवाहित, कम शिक्षित व लिव इन में रहने वाले लोग गर्भपात के लिए आए है ।
इनमे अधिक से अधिक अधिक गर्भपात प्रथम तिमाही में किए गए है ।और मुख्य वजह सामने अन्वॉंटेड प्रेगनेंन्सी व कोविड के वक्त में बच्चा ना करने का डर रहा है।”