काम के क्षेत्र में महिलाओं गुजरात में सक्रिय ना होने की वजह से, जीवन बीमा पॉलिसी के मामलों में भी पिछड़ रही है।
देश के उद्योग में आगे रहने वाले गुजरात की यह है कहानी – राज्य के कुल आबादी कि सिर्फ 27% महिलाओं के पास अपनी जीवन बीमा का सुरक्षा कवच हैं। इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया – IRDAI के साल 2019-20 के वार्षिक रिपोर्ट मुताबिक गुजरात के यह आंकड़े 32% की पूरे देश की औसत से भी कम प्राप्त हुए हैं। बीमा विशेषज्ञों का मानना है की व्यवसाय के क्षेत्र में मौजूद जाति/लिंग असमानता के कारण गुजरात में महिला जीवन बीमा धारक कम मात्रा में पाए जाते हैं।
गुजरात के साथ महिला जीवन बीमा धारक जहां कम है वह राज्य, हरियाणा जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, दमन दीव, तथा दादरा और नागर हवेली है।
वर्किंग वुमन की लगातार कम होती मात्रा की वजह से जीवन बीमा पॉलिसी की महिला खरीददारी भी कम हो रही है। महिला व्यावसायिक सहभागिता के देश की 18.6% औसत के सामने गुजरात में केवल 16.9% महिला व्यावहारिक जीवन में जुड़ी है और यहां केवल गुजरात के गांव नहीं पर शहरों की भी बात है। पॉलिसी.कॉम के स्थापक नवल गोयल ने जानकारी देते हुए बताया।
भारत में साल 2019-20 के लिए जीवन बीमा पॉलिसी की कुल बिक्री 2.88 करोड़ थी, जिसमें 93 लाख पॉलिसी महिला धारक की है। जीवन बीमा पॉलिसी की आवश्यकता की जागरूकता के अभाव को गुजरात में सबसे बड़ा कारण माना गया है। महिला के लिए भी जीवन बीमा अनिवार्य है, इस बात को कभी प्राथमिकता मिली ही नहीं है और खासकर जो महिलाएं हाउसवाइफ हैं और घर परिवार संभाल रही है उनमे जीवन बीमा पॉलिसी की मात्रा बहोत कम पाई गई है।
महिला जीवन बीमा धारक के अधिक मात्रा वाले 5 श्रेष्ठ राज्यों की सूची में आंध्र प्रदेश (40%), मिजोरम (40%,) पुडुचेरी (39%) और तमिलनाडु (38% ) शामिल है।