वाइब्ज़ ऑफ इंडिया की टीम के समक्ष दोनों परिवारों ने एक ही बात कही “हमारी क्या गलती थी ? हमें न्याय मिले, सरकार बस हमें न्याय दे हम यही चाहते हैं”
जिस दुकान को दहशतगर्द जला कर चले गए उस दुकान से किसी के घर का चूल्हा जला करता था, दहशत फैलाने वाले चले गए लेकिन पीछे छोड़ गए एक घर जो अब बर्बाद हो गया
कहीं पर जाली हुई दुकान में दोबारा काम की शुरात हो रही थी तो कहीं पर राख उद रही थी, किसी घर की गृहस्ती का ठिकाना नहीं था तो किसी की गृहस्ती जल कर राख हो गई थी और पड़ोसियों के रहमों करम पर वे अपना गुजर बसर कर रहे थे, पड़ोसियों से खाना लेकर कोई परिवार खाना खा रहा था तो कोई परिवार अपने प्रियजन की मौत पर मातम मना रहा था, वाइब्ज़ ऑफ इंडिया की टीम ग्राउन्ड ज़ीरो पर जब पहुंची तो ये आलम नजर आया और लोगों के मन में एक ही प्रश्न था की “उनकी आखिर क्या गलती थी” दहशतगर्दों की दहशत की वजह से दोनों कौम के लोगों का नुकसान हुआ और दोनों कौम के लोगों का एक ही सवाल था की “उनकी आखिर क्या गलती थी”
वाइब्ज़ ऑफ इंडिया की टीम के माध्यम से दोनों कौम के लोगों ने एक ही अपील की है की सरकार बस उन्हे न्याय दे, दोनों कौम के लोग पुलिस की जांच से संतुष्ट नहीं हैं और उनका कहना है की “ पुलिस अंतरराष्ट्रीय लेवल पर पहुँच गई है लेकिन इस मामले पर क्या जांच हो रही है वो बिल्कुल भी स्पष्ट नहीं हो सका है, सरकार हमें जल्द से जल्द न्याय दे”
गुजरात के आनंद जिला के खंभात तालुका में 10 अप्रैल को रामनवमी के अवसर पर जो शोभायात्रा पर पथराव की वारदात ने सबकुछ बदल दिया, दोनों कौम के बीच तनाव से जो हिंसा भड़की उसमें कई सारा नुकसान हुआ, किसी के घर की रोज़ी रोटी तो किसी का प्रियजन इस हिंसा के भेंट चढ़ गया,
रामनवमी के दिन पथराव में कनैयालाल रतिलाल राणा गंभीर रूप से घायल हो गए और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। परिवार में उनके दो बेटे और एक बेटी है। उनके असमय निधन से परिवार में कोहराम मच गया। ऐसा लग रहा था कि परिवार के सिर से छत छिन गई हो। घरवालों को यह नहीं पता था कि पत्थर किसने मारा और क्यों, भीड़ पर पथराव किया गया और उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया।
इस संबंध में वाइब्स ऑफ इंडिया की टीम ने कनैयालाल राणा के परिवार से मुलाकात की। जब हम उनके घर के बाहर पहुंचे तो घर के बगल में एक दरगाह थी और बहुत सन्नाटा था। दरवाजे पर दस्तक होते ही आवाज बंद हो गई। घर के बाहर कनैयालाल की बेटी की आंखों में आंसू थे। उनसे बात करते हुए उनकी एक ही धुन थी। हमारी क्या गलती है, हमें बस इंसाफ चाहिए। यह कैसे हुआ मैं कह नहीं सकती। बोलते-बोलते उसकी आंखों से आंसू टपकने लगे। उन्होंने आगे कहा कि जो हुआ वह याद नहीं करना चाहती। कनैयालाल के दोनों पुत्र सरकार को अभ्यावेदन देने के लिए गांधीनगर गए। मेरे पिता को मारने वाले को पकड़ लो और हमें न्याय दो। इस तरह उन्होंने फिर हाथ जोड़ा और कहा, हमारा क्या कसूर था, हमें बस इंसाफ चाहिए।
खंभात टावर के पास एक बिल्डिंग के आगे आरिफ़ इशमाल घांची की अपनी जूते चप्पल की दुकान लगते थे, उनके पड़ोस में कई हिन्दू व्यापारियों के साथ उनके अच्छे संबंध थे, साथ में चाय पीने से लेकर एक दूसरे से सलाम दुआ के संबंध कई साल से स्थायी थे उन्होंने हमारी टीम से कहा की “मैं यहां दो हिंदुओं के बीच सालों से कारोबार कर रहा हूं। मेरे पिता इस जगह पर व्यापार करते थे और मैं बगल में कपड़े का व्यापार करने वाली महिला को अपनी मां मानता हूँ और वे भी मुझे अपना बेटा मानती हैं। मैं अपने पिता के बाद इन जूतों का व्यापार करता हूँ, मेरी दुकान के साथ साथ मेरे साथ पड़ोस में व्यापार करने वाली दक्षाबहन की दुकान भी भी जल गई और उन्हे भारी नुकसान हुआ। मुझे भी बड़ा नुकसान हुआ और मैंने सारा माल फिर से उधार लेना पद ।अब यह तय नहीं है कि मैं कब उधार कब चुका पाऊँगा और अपने व्यवसाय को फिर से कब व्यवस्थित कर पाऊंगा। मैंने आने-जाने वाले लोगों और सरकारी अधिकारियों से भी कहा कि शकरपुर में पत्थर फेंका गया था और हम यहां धंधा कर रहे थे.एक भीड़ ने आकर मुझे देखा और हाथापाई शुरू कर दी और आग लगा दी. मेरा अपराध यह था कि मैं शांति से व्यापार कर रहा था। मुझे न्याय दो बस यही शब्द आरिफ भाई के थे।
निराश दक्षाबहन ने कहा कि किसी ने आरिफभाई के घर में आग लगा दी थी और आग से मेरा सामान जल गया है। मेरा परिवार इस व्यवसाय पर ही निर्भर है। मैं सड़क पर हूं और मुझे परिवार और जीवन यापन करने के तरीके के बारे में लगातार चिंता हो रही है। यह हमारे परिवार या हमारी गलती नहीं थी जिसकी सजा हमें मिली।
दक्ष बहन और आरिफ़ एक साथ चाय पीते थे और एक ही पानी की बोतल दोनों के बीच मँगवाते थे