गुजरात का तापमान भले ही 36 डिग्री – 39 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया जा रहा हो लेकिन सियासी तापमान चुनावी वर्ष में बढ़ रहा है , “समाज ” की तपिश से रोज नए समीकरण बन बिगड़ रहे है। तमाम नेता समाज राग अलापने में लगे है , कोई राजनीति आये या नहीं आये उसे समाज के फैसले का इंतजार है तो कोई समाज के लिए सत्ताधारी दल में होने के बावजूद विपक्षी विधायक और उनके समर्थको के लिए पुलिस अधीक्षक मुख्यालय में जमीन पर बैठ कर “न्याय”की लड़ाई के लिए उतावला है , लेकिन 90 के दशक तक गुजरात की राजनीति का सबसे मजबूत समाज रहा कोली -ठाकोर समाज सत्ता आपसी संघर्ष में उलझा हुआ। और उसका केंद्र बिंदु है सौराष्ट्र। जी है हम, बात कर रहे है कोली समाज की। गुजरात का 22 प्रतिशत और सौराष्ट्र का 35 प्रतिशत आबादी वाले कोली समाज में कोली समाज के तीन नेताओ के आपसी अहम् की लड़ाई सड़क पर आ गयी है।
भाजपा के ही कद्दवार नेता और पूर्व सांसद देवजी फतेपरा ने बागी सुर अपना लिए है। अखिल भारतीय कोली समाज के अध्यक्ष और विधायक कुंवर जी बावलिया , और मोदी सरकार के बाल कल्याण ,महिला तथा आयुष विभाग के राज्य मंत्री डॉ महेंद्र कालू भाई मुजपरा को कोली सम्मलेन में भाजपा के पूर्व सांसद देवजी फतेपरा ने ” नो एंट्री ” का एलान किया है।
कुंवर जी बावलिया के होम टाउन राजकोट में चुनौती देते हुए पूर्व सांसद देवजी फतेपरा ने कहा की सौराष्ट्र की 54 सीटों पर कोली ठाकोर समाज निर्णायक है , समाज सवाल पूछता है की उसको सम्मान क्यों नहीं मिलता , उसको टिकट क्यों कम मिलती है। यह समाज अगर किसी को सत्ता तक ले जा सकता है तो उसे झुका भी सकता है।
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आगामी दिन में सम्मलेन कर समाज के निर्णय को घोषित किया जायेगा , समाज के अग्रणियों से चर्चा हो रही है ,हमारा समाज मुस्लिम की तरह समूह मतदान करता है , 80 -85 प्रतिशत मतदान में हमारे समाज का योगदान सबसे ज्यादा है , वह मजदूरी छोड़कर भी समाज के आगवानो के कहने पर वोट देने आता है, आयोजन में शामिल होता है। कोली समाज के सम्मलेन में कुंवर जी बाबलिया और मुजपरा (मोदी सरकार के बाल कल्याण ,महिला तथा आयुष विभाग के राज्य मंत्री डॉ महेंद्र कालू भाई मुजपरा) की नो इंट्री होगी। मै समाज की लड़ाई लडूगा।
“वाइब्स आफ इंडिया” जब पूर्व सांसद देवजी फतेपरा के बयान पर कुंवर जी से बात की तो इस वरिष्ठ नेता का कहना था कि ” देवजी के बयान पर कुछ नहीं बोलूंगा ,उनको जो करना है , करें” . वही देवजी फतेपारा ने स्पष्ट किया की उनका कुंवर जी से कोई समझौता नहीं हुआ है।
अखिल भारतीय कोली समाज के प्रदेश अध्यक्ष और उधोगपति चन्द्रवदन पीठावाला ने वाइब्स आफ इंडिया से कहा की आपस में लड़कर ये समाज का नुकसान कर रहे है , कोली समाज पिछले तीन दशक में गुजरात में आर्थिक और राजनीतिक तौर पर दूसरे समाज की तुलना में विकसित नहीं हो पाया।
सरकार बनाने की ताकत रखने वाला कोली -ठाकोर समाज टिकट के लिए संघर्ष कर रहा है इसका दोषी कौन है , यह नेताओ को सोचना चाहिए। दलीय राजनीति और निजी लाभ ने समाज को कमजोर किया है। तीनो को बैठकर बात करनी चाहिए , हालांकि वह खुले तौर पर मानते है की कुंवर जी की जमीनी पकड़ देवजी से ज्यादा मजबूत है।
क्या है विवाद का कारण
भाजपा नेता फतेपरा ने 2014 में गुजरात की सुरेंद्रनगर लोकसभा सीट से चुनाव जीता था, 2019 में भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया था। उनकी जगह डॉ महेंद्र कालू भाई मुजपरा को उम्मीदवार बना दिया। मुजपरा ने कांग्रेस उम्मीदवार तथा पूर्व सांसद सोमगांडा पटेल को 277437 के बड़े अंतर से पराजित किया। बाद में अक्टूबर 2020 में सोमा पटेल और कुंवर जी बावलिया दोनों अपने विधायक पद से इस्तीफ़ा देकर कांग्रेस में शामिल हो गए , कुंवर जी कैबिनेट मंत्री बनाया गया साथ ही उपचुनाव में उनको राजकोट के जसदण से भाजपा ने प्रत्याशी भी बनाया और वह चुनाव भी जीत गए , जबकि सोमा पटेल की भाजपा ने टिकट काट दी। इस दौरान 2021 में मोदी मंत्रीमंडल के विस्तार में डॉ महेंद्र कालू भाई मुजपरा को बाल कल्याण ,महिला तथा आयुष विभाग का राज्य मंत्री बना दिया गया।
गुजरात में सत्ता बदलाव में कुंवर जी मंत्रीमंडल से बाहर हो गए , इसलिए कुंवर जी और देवजी फतेपरा ने 2 जनवरी को राजकोट में कोली समाज का सम्मलेन कर समाज की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए शक्ति प्रदर्शन का दम भरा लेकिन ,5 जनवरी को कुंवर जी बावलिया, डॉ महेंद्र कालू भाई मुजपरा के साथ कोली विधायक और सांसदों का प्रतिनिधि मंडल लेकर भाजपा प्रदेश प्रमुख से मिलने भाजपा प्रदेश मुख्यालय पहुंच गए। इस मुलाकात से देवजी फतेपरा को दूर रखा गया , पुराने कांग्रेसी कुंवर जी सत्ता की हवा पहचाने में माहिर है , वह महेंद्र मुजपरा से नजदीकी बढ़ा ली , देव जी अब शक्ति प्रदर्शन के मूड में हैं। कोली समाज के 23 विधायक है। जिनमे से 16 विधायक भाजपा से है जबकि 9 कांग्रेस से ऐसे में कोली सियासत भी आगामी दिनों में उफान पर रहेगी। देवजी के मुताबिक हम समुद्र की लहरों से खेलते हैं , वही हमारी जिंदगी गुजरती है , इसलिए उफान से डरने का सवाल ही नहीं हैं।