केंद्र सरकार की एक महत्वपूर्ण परियोजना तापी पार नर्मदा लिंक ( tapi-paar-narmda link project ) परियोजना का आदिवासी ( TRIBAL )समुदाय द्वारा विरोध किया जा रहा है। सरकार के फैसले के विरोध में डांग जिले ( Dang DISTRICT ) के वाघई में जनजातीय लोगों ने रैली की। कहा जाता है कि आदिवासी समुदाय ( TRIBAL )के अस्तित्व का सवाल है ,बांध बनने से सब कुछ बर्बाद हो जायेगा गांव डूब जायेगा।
आदिवासी नेताओं (TRIBAL LEADERS ) का कहना है कि 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से तीन विशाल बांधों के निर्माण से आदिवासी ( TRIBAL )बेघर हो जाएंगे। तापी पर नर्मदा लिंक नदी परियोजना ( tapi-paar-narmda RIVER link project ) बनी तो आदिवासी विस्थापित होंगे,
नदी लिंक परियोजना के विरोध में सड़क पर उतरा आदिवासी समाज
आदिवासी संघर्ष में डांग के राजा भी शामिल हुए
इसलिए इस परियोजना को स्थगित किया जाना चाहिए और यदि ऐसा नहीं होता है तो वे आंदोलन करने से नहीं हिचकिचाएंगे। दूसरी ओर, इस लड़ाई में डांग के राजा ( KING OF DANG )भी शामिल हुए।
यहां के आदिवासियों का कहना है कि अगर ये तीन बड़े बांध बन गए तो 35 से ज्यादा गांवों के 1700 से ज्यादा परिवारों की जमीनें और घर जलमग्न हो जाएंगे.50 हजार से ज्यादा आदिवासी ( TRIBAL) प्रभावित होंगे
पहले भी हो चूका है विरोध
कुछ दिनों पहले, दूबन के 72 गांवों में से वाघई तालुका के जमलापाड़ा-रांभास में आदिवासी संघर्ष के साथ एक गैर-राजनीतिक बैठक आयोजित की गई थी। जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे.
आदिवासी संगठन के साथ विपक्ष के नेता सुखराम राठवा समेत दक्षिण गुजरात के आदिवासी नेता मौजूद थे. और तापी पर नदी लिंक के नीचे डूबने से 50,000 से अधिक आदिवासी प्रभावित होंगे।
कौन कौन थे उपस्थित
सरकार की प्रस्तावित नदी लिंक परियोजना के विरोध में आज डांग में आदिवासी समुदाय और आदिवासी संगठनों द्वारा सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन किया गया , विशाल रैली में हजारों लोग उपस्थित थे , विधायक अनंत पटेल ( MLA ANAT PATEL,) जिग्नेश मेवाणी ( JIGNESH MEWANI ), पूर्व केंद्रीय मंत्री तुषार चौधरी ( TUSHAR CHAUDHARY ), विधायक आनंद चौधरी ( MLA ANAND CHAUDHARY )समेत दक्षिण गुजरात के आदिवासी नेता उपस्थित थे।
क्या है समस्या
विरोध करने वाले संगठनों और लोगों के मुताबिक सरकार पर तापी और नर्मदा नदी लिंक परियोजना को लागू करने जा रही है. इस परियोजना से वलसाड जिले के धरमपुर तालुका में पार नदी पर चसमंडवा गांव के पास एक बांध का निर्माण किया जा सकता है।
यदि बांध बन जाता है, तो क्षेत्र के कई आदिवासी परिवारों के विस्थापित होने की संभावना है, जिससे आदिवासी समुदाय और राजनीतिक और सामाजिक नेता भी सरकार की प्रस्तावित नदी लिंक परियोजना का विरोध कर रहे हैं।
89 गांव डेम बनाने से डूब जायेंगे , हालांकि मुख्यमंत्री ने भरोषा दिलाया है की वह आदिवासियों का नुकसान नहीं होने देंगे , लेकिन वित्त मंत्री ने बजट में योजना के लिए धन आवंटित किया है।
इस मामले को लेकर एक महीने आदिवासी समाज तीसरी बार सड़क पर उतरा है , विधानसभा में भी कांग्रेस विधायकों ने विरोध प्रदर्शित किया था , उसके पहले धरमपुर में आदिवासी समाज की रैली हुयी थी।
मुख्यमंत्री ने दिया है भरोसा
आदिवासी समाज जिस तरह से एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन कर रहा है , उससे डांग वलसाड तापी के भाजपा आदिवासी नेताओ ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और भाजपा प्रदेश प्रमुख सीआर पाटिल से मिलकर आदिवासी समाज की नाराजगी से अवगत कराया था .
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भरोसा दिलाया था की आदिवासियों के हितो का ख्याल रखा जायेगा , जबकि सीआर पाटिल ने कहा था कि किसी हाल में योजना अमल में नहीं आएगी ,उसके बाद भी आक्रोश कम नहीं हो रहा है।
पार – ताप्ती नर्मदा लिंक परियोजना के विरोध में कांग्रेस विधायकों ने दिया धरना
सी आर पाटिल ने कहा लागु नहीं होगी नदी लिंक परीयोजना , अनंत पटेल ने कहा जारी करायें नोटिफिकेशन