उत्तर प्रदेश , उत्तराखंड , पंजाब , गोवा , मणिपुर विधानसभा चुनाव परिणाम 10 मार्च को घोषित होते ही कई दिग्गजों के सियासी सपनों पर जनादेश का थप्पड़ लग गया।
उत्तर प्रदेश में 268 सीटों के साथ भाजपा गठबंधन को एक बार फिर जनादेश मिला है , दुबारा चुनाव जीतने वाले योगी सरकार ने इतिहास बना दिया , पिछले तीन दशक में उत्तर प्रदेश में किसी दल की सरकार रिपीट नहीं हुयी थी।
भाजपा गठबंधन छोड़कर समाजवादी गठबंधन से जुड़े स्वामी प्रसाद मौर्या फाजिलनगर से चुनाव हार गए , योगी सरकार में वह कैबिनेट मंत्री थे। उन्हें भारतीय जनता पार्टी के सुरेंद्र कुमार कुशवाहा ने भारी अंतर से हराया , शुरू से ही स्वामी प्रसाद के लिए यह सीट मुश्किल भरी मनी जा रही थी।
वही कांग्रेस के सक्रीय प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू तमुकाहीराज से चुनाव हार गये , लल्लू तीसरे स्थान पर थे। लल्लू कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी के सबसे नजदीकी थे।
वहीँ योगी सरकार से बगावत कर अलग होने वाले दारा सिंह चौहान भी घोसी के मुकाबले में कमजोर खिलाडी साबित हुए , कभी मुलायम सिंह के सुरक्षा में तैनात रहे केंद्रीय मंत्री एस पी सिंह बघेल भी करहल में अखिलेश यादव के सामने ढेर हो गए।
योगी सरकार के गन्ना मंत्री सुरेश कुमार को किसानों की नाराजगी भरी पड़ी
जबकि योगी सरकार के गन्ना मंत्री सुरेश कुमार को किसानों की नाराजगी भरी पड़ी , मुज्जफरपुर दंगो से हिंदुत्व के पोस्टर बॉय सरधना से संगीत सोम सरधना से चुनाव हार गए हैं।
चुनाव से पहले पाला बदलकर सपा के टिकट नकुड़ से चुनाव लड़े डाक्टर धर्म सिंह सैनी चुनाव हार गए हैं। उन्हें भाजपा के मुकेश चौधरी ने हराया। वहीं कौशांबी की सिराथू सीट पर मतगणना रोक दी गई है।
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पीछे चल रहैं है। भदोही की ज्ञानपुर सीट से भाजपा के सहयोगी दल निषाद पार्टी के प्रत्याशी विपुल दुबे जीत गए हैं।
उन्होंने बाहुबली विधायक विजय मिश्र का किला फतेह किया है। विजय मिश्र चार बार से लगातार विधायक थे। वे इस बार तीसरे नंबर पर हैं।
वही गोरखपुर शहर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चुनौती देने गए आज़ाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर आज़ाद रावण महज 6505 मत ही हांसिल कर सके।
झाड़ू से साफ़ हो गए पंजाब के दिग्गज
पंजाब विधानसभा के चुनाव परिणाम दिग्गजों के लिए सबसे दर्दनाक साबित हुए। कांग्रेस और अकाली दल के ज्यादातर बड़े नेता किसी तरह बढ़त हांसिल करने के लिए तड़पते दिखे। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी दोनों सीटों से बुरी तरह चुनाव हार गए। कांग्रेस से अलग होने के बाद पंजाब लोक कांग्रेस बनाने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह भी विधानसभा नहीं पहुंच सके।
बादल परिवार पर मतदाताओं ने कहर बरपाया। उम्र के आखिरी पड़ाव में लंबी से चुनाव लड़ रहे प्रकाश सिंह बादल आम आदमी पार्टी के गुरमीत सिंह से 11000 से अधिक मतों से चुनाव हार गए।
उनके पुत्र और शिरोमणि अकाली दल के चेहरे सुखबीर सिंह बादल जलालाबाद आम आदमी पार्टी के जगदीप कम्बोज से लगभग 30000 मतों से पराजित हुए।
वही उनके साले से विक्रम सिंह मजीठिया भी बुरी तरह हार गए। पंजाब में कांग्रेस को हर हफ्ते परेशानी में डालने वाले ” गुरु ” भी इस बार अमृतसर पश्चिम से हार गए,
प्रदेश कांग्रेस के मुखिया नवजोत सिंह सिद्धू आप के जीवनज्योत कौर से 7000 मतों से पराजित हुए।
वही गोवा की राजनीति के केंद्र रहे पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के पुत्र उत्पल पर्रिकर पणजी से 600 से अधिक मतों से पराजित हुए उन्हें भाजपा प्रत्याशी ने हराया।
जबकि उत्तरखंड में सरकार बनाकर इतिहास रचने वाले पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री रहते हुए खटीमा से कांग्रेस के युवा नेता भुवन चंद्र से 6 हजार से अधिक मतों से पराजित हुए।
कांग्रेस के मुख्यमंत्री के चेहरे हरीश रावत लालकुआं से चुनाव हार गए ,आप के मुख्यमंत्री के दावेदार कर्नल अजय कौटियाल भी चुनाव नहीं जीत पाए।
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