द्वारका में गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से 25 से 27 तारीख तक तीन दिवसीय राज्य स्तरीय चिंतन शिविर का आयोजन किया गया है. जिसमें कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे और संबोधित करेंगे।यह चिंतन शिविर कांग्रेस के लिए कई मायनों में खास है ,किसी राज्य इकाई द्वारा आयोजित चिंतन शिविर में कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ साथ कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों , वरिष्ठ नेताओं तथा विभिन्न विषय के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया है।
गुजरात के 500 से अधिक नेता भाग लेंगे
राज्य क्षेत्र-जिला-तालुका के 500 से अधिक नेता भाग लेंगे। कांग्रेस पार्टी के सभी फ्रंटल संगठनों के प्रतिनिधि, कोर कमेटी के सदस्य, समन्वय समिति के सदस्य “द्वारका चिंतन शिविर” में भाग लेंगे और विधानसभा चुनाव में 125+ सीटें जीतने का रोडमैप तैयार करेंगे।
इस बारे में मीडिया से बातचीत करते हुए गुजरात प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जगदीश ठाकोर ने कहा ‘देवभूमि द्वारका में 25 फरवरी से शिविर शुरू हो रहा है. इसमें करीब 500 प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे. हमने राहुल गांधी जी को भी आमंत्रण भेजा है. उन्होंने शिविर में शामिल होने की स्वीकृति दे दी है. हालांकि वे किस दिन शामिल होंगे, यह अभी तय नहीं हुआ है.
शिविर में आने वाले पार्टी प्रतिनिधियों को हम 10-12 समूहों में बांटेंगे. ये समूह गुजरात की आम जनता से जुड़े विभिन्न मसलों पर विचार करेंगे. हमने पूरे देश से विषय-विशेषज्ञों को भी बुलाया है. वे भी अपने विषय के बारे में पार्टी प्रतिनिधियों के बारे में अपनी राय रखेंगे.
तीन दिवसीय ध्यान शिविर में राज्य की वर्तमान स्थिति, जनता को प्रभावित करने वाले मुद्दे, भाजपा की विफलता और चार्टर की मांग को प्रस्तुत किया जाएगा। तीन दिवसीय चिंतन शिविर के बाद, गुजरात 27 को गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए 6 करोड़ लोगों के सामने “द्वारका घोषणा” पेश किया जायेगा।
क्यों अहम है चिंतन शिविर
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कांग्रेस के लिए यह चिंतन शिविर खास अहम है ,दिशा विहीन कांग्रेस को ऐसे अधिवेशन से ऊर्जा मिलती रही है , लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर ही ऐसे अधिवेशन होते हैं , शायद पहली बार किसी राज्य के अधिवेशन की रुपरेखा राष्ट्रीय स्तर की बनायीं गयी है।
1998 में कांग्रेस ने पंचमढ़ी अधिवेशन में राष्ट्रीय स्तर पर एकला चलो की राह अख्तियार की थी , लेकिन 2003 में शिमला अधिवेशन में गठबंधन का बोधपाठ हांसिल किया था , जिसके बाद 2004 में ना केवल केंद्रीय स्तर पर कांग्रेस सरकार बनाने में सफल रही बल्कि कई राज्यों में सरकार बनाने में सफल रही , यह सिलसिला 2014 तक चला .
गुजरात कांग्रेस को भी कुछ ऐसी ही उम्मीद है , गुजरात कांग्रेस के लिए यह चिंतन शिविर इसलिए भी अहम् है क्योकि उनके एक के बाद एक नेता ” राजीव भवन ” की बजाय ” श्री कमलम ” की ओर जाते जा रहे है।
पिछले कुछ सालों में 21 विधायक कांग्रेस का हाथ छोड़ चुके हैं। जबकि 100 से अधिक नेता केसरिया रंग से रंग चुके हैं. एक पहलु जमीनी स्तर पर कमजोर संगठन ,अनुशासनहीनता , व्याप्त असंतोष जैसी बड़ी चुनौतियां हैं ,इस चिंतन शिविर से यदि इनका हल निकल सके तो बेहतर वरना महज एक राजनीतिक आयोजन बन कर रह जायेगा।
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