“अपनी पत्नी के जेवर गिरवी रखते वक्त पुरुष का आत्मसम्मान भी गिरवी हो जाता है। किसी भी हिंदुस्तानी का जेवर या मकान गिरवी रखना अंतिम विकल्प होता है।
महामारी और मंहगाई की दोहरी मार झेल रहे आम भारतीयों को यह असंवेदनशीलता अंदर तक तोड़ देगी।
क्या यही नए भारत के निर्माण की परिकल्पना है?” यह शब्द सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के तीसरी बार के सांसद वरुण गाँधी के है। बुधवार को हर महीने की तरह गोल्ड लोन कंपनी एक लाख परिवारों का गिरवी रखा सोना नीलाम कर दिया जायेगा।
जिसमे ज्यादातर कर्जदार मुथूट फायनेस और मणरपुरम गोल्ड फायनेंस का है। देश के ज्यादातर महानगरों में इन गोल्ड लोन कंपनियों के दफ्तर हैं , जहा जरुरत के वक्त कर्ज के लिए सोना गिरवी रखना होता है ,लेकिन समय पर कर्ज ना चूका पाने पर निर्धारित समय के बाद सोना नीलम कर दिया जाता है। अकेले मुथूट फायनेंस ने 58 पेज की नोटिस जारी की है।
भारत में सोना का निवेश से ज्यादा भावनात्मक संबंध
भारत में सोना निवेश के तौर पर कम और भावनात्मक तौर पर ज्यादा ख़रीदा ज्यादा है। 80 प्रतिशत से अधिक सोना महिलाओं के गहने के तौर पर गिरवी रखा जाता है। जिसमे ज्यादातर निम्न आय वर्ग के लोग के होते हैं , जिनकी आय के स्त्रोत कोरोना में बुरी तरह से प्रभावित हुए है।
नीलाम होने वाले गहनों में ज्यादातर मंगलसूत्र , चूड़ी , कान की बाली ,चैन जैसे गहने होते है। अर्थशास्त्रियो के मुताबिक यह देश के अर्थव्यवस्था की टूटती कमर है की हक़ीक़त बया कर रहा है , ज्यादातर लोगो की नौकरिया गयी , आय के साधन प्रभावित हुए ,कोरोना के बाद ये असर अब अर्थव्यवस्था में दिखने लगे है ,नौकरीपेशा तबके ने जिस उम्मीद से कर्ज लिया था , उसका आधार ही वेतन था ,अब उसमे या तो कटौती हो चुकी है या वह बेरोजगार हो चूका है।
महामारी वर्ष 2021 में लक्जरी कारों की बिक्री और सोने के आयात ने नई बुलंदियां देखीं