26 जुलाई 2008 को तत्कालीन डीसीपी अभय चूडास्मा क्राइम ब्रांच आफिस में बैठे थे ,आज फ़ोन बजा , उसके बाद जो भागदौड़ मची वह 14 साल बाद पूरी हुई. दोषियों की जांच और अन्य दिलचस्प किस्से सामने आए हैं. अभय चुडास्मा जमालपुर क्षेत्र के गायकवाड़ हवेली में अपराध शाखा कार्यालय में बैठे थे और जब तक वह नरोल पहुंचे तब तक उन्हें एक और विस्फोट की सूचना मिली। एक के बाद एक 21 धमकों शहर दहल गया ,पुलिस की भागमभाग हो रही थी ,सायरन की गूँज चारों तरफ थी , कुछ पोलिस की गाड़ियों के कुछ एम्बुलेंस के. लेकिन अंतर कर पाना मुश्किल हो रहा था.आरोपी को पकड़ने के लिए तत्काल टीमों का गठन किया गया और घटनास्थल की जाँच के साथ सहित मुखबिरों को सतर्क किया गया। इस समय शहर में धीरे-धीरे बारिश हो रही थी।
विस्फोट की खबर से इलाके में खलबली मच गई।मोबाइल नेटवर्क भी जाम हो गया।इस दौरान क्राइम ब्रांच की टीम ने एक संदिग्ध व्यक्ति को उठाया। पुलिस का वायरलेस नेटवर्क भी जाम हो गया था.शहर में कई जगहों पर ट्रैफिक जाम रहा।
एक मुखबिर ने अभय चूडास्मा को फोन कर बताया कि भरूच में आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल की गई दो कार पड़ी है.पुलिस टीम जब वहां पहुंची तो उन्हें एक मोबाइल नंबर और एक महत्वपूर्ण लिंक मिला। बाद में आरोपियों के चार और मोबाइल नंबर मिले।
अभय चूडास्मा और तीन महीने नहीं खाया घर का खाना
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अभय चुडासमा और उनकी टीम ने 26 जुलाई के बाद नवंबर में घर पर लंच किया. क्राइम ब्रांच ऑफिस दिन-रात गुलजार था। इसमें वर्तमान डीजीपी आशीष भाटिया, अभय चूडास्मा, राजेंद्र असारी, मयूर चावड़ा, जेडी पुरोहित, वीआर टोलिया, उषा राधा, पीजी वाघेला, गिरीश सिंघल, हिमांशु शुक्ला, मयूर चावड़ा, केके पटेल समेत कई अधिकारी लगातार कड़ी से कड़ी जोड़कर आरोपियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करने में लगे थे। और उसमे कामयाब भी हुए।
ब्लास्ट का पता लगाना देश के लिए एक अनूठा तोहफा होगा: नरेंद्र मोदी
कई जगहों का दौरा करने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने गृह विभाग और चुनिंदा अधिकारियों की बैठक की. जब तत्कालीन डीसीपी अभय चूड़ास्मा भी मौजूद थे, तब नरेंद्र मोदी ने कहा था कि सिलसिलेवार बम धमाकों का पता लगाना देश के लिए एक अनोखा तोहफा होगा. इसलिए इस मामले का पता लगाना बेहद जरूरी है।
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फिर शुरू हुआ दस्तावेजी कारण
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तात्कालिक पुलिस अधिकारियों की टीम बेहतर पता था की केवल गिरफ्तारी से काम नहीं बनेगा. न्यायप्रणाली की प्रक्रिया लम्बी है , इसलिए पहले सभी मामलो को एक किया गया ,उसके बाद गिरफ्तार आरोपियों के रिमांड और बयान का सिलसिला शुरू हुआ.बयानों का दस्तावेजी करण इस तरह से किया गया की अदालत में पक्ष मजबूत रहे , और अंत में हुआ भी वही.